भ्रष्टाचार के आरोपो से एचपीएसईडीसी की होलोग्राम टेंडर प्रक्रिया पर उठी उंगली
मुंबई- हाल के दिनों में कुछ ऐसी घटनाएं घटी हैं जिससे हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड (एचपीएसईडीसी) पर होलोग्राम टेंडर प्रक्रिया में संभावित अनियमितताओं को लेकर संदेह के बादल मंडरा रहे हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अमित खन्ना द्वारा किए गए खुलासे ने पूरी खरीद प्रक्रिया को संदेह की नजर से देखा जा रहा है और इससे इसके भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं।
टेंडर की टाइमलाइन पर खन्ना ने कहा है कि टेंडर का पैटर्न कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया जिसका नतीजा पहले से तय है। उन्होंने कहा है कि टेंडर की आधिकारिक घोषणा से पहले ही इसका रिजल्ट मनमाफिक बना दिया गया था, जिससे प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवालिया निशान लग गया है।
एचपीएसईडीसी के चुनिंदा अधिकारियों के खिलाफ खन्ना ने जिस तरह से आरोप लगाया है, उससे स्थिति और भी खराब हो गई है। खन्ना ने इन अधिकारियों के बारे में उनका दावा किया है कि वे यूफ्लेक्स और मोंटेज से जुड़े एक खास कार्टेल का समर्थन कर रहे हैं। टेंडर को रद्द करने और फिर से जारी करने के बावजूद, खन्ना ने तर्क दिया है कि ये अधिकारी इन कार्टेल के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं जो टेंडर के उद्देश्यों को निष्प्रभावी बनाते हैं और इसकी प्रतिस्पर्धा की भावना को कमजोर करते हैं।
इस मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई करने के इरादे से अपनी मांग करते हुए खन्ना ने न केवल इस तरह के भ्रष्टाचार से होने वाले संभावित वित्तीय प्रभावों पर ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए चिंता भी जाहिर की है। उन्होंने दावा किया है कि जब से इस मामले का भंडाफोड़ किया है तबसे धमकी मिल रही और ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे अन्य राज्यों में इसी तरह के घोटालों की तुलना करते हुए, जहां भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे व्यक्तियों को कानूनी शिकंजे का सामना करना पड़ा, खन्ना कहते हैं कि न्याय व्यवस्था में उनका विश्वास अटूट है और इस मामले में भी इंसाफ होकर रहेगा। उन्हें पूरा भरोसा है कि एचपीएसईडीसी होलोग्राम टेंडर की अगर ठीक से जांच की जाती है तो यह सिस्टेमेटिक भ्रष्टाचार को उजागर करेगी और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराएगी।
हिमाचल प्रदेश के टेंडर की इस प्रक्रिया की बात जैसे-जैसे लोगों के बीच पहुंच रही है लोगों के जेहन में सरकारी बाबुओं द्वारा टेंडर में किए जाने वाले गमले और धांधली को लेकर शंका पैदा होने लगे हैं। इस गोरख धंधे के खुलासे से जिस तरह से सरकारी बाबूओ द्वारा टेंडर को पक्षपाती बनाने वाली क्रियाकलापों का पर्दाफाश हुआ है, उससे यह देखना दिलचस्प हो गया है कि आने वाले दिनों में यह मामला कैसा मोड़ लेता है।