फार्मा व मेडिकल टेक्नोलॉजी में रिसर्च के लिए सरकार की 5,000 करोड़ की योजना
मुंबई- केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने भारत में फार्मास्युटिकल और मेडिकल टेक्नोलॉजी सेक्टर में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए 5,000 करोड़ रुपये की PRIP स्कीम शुरू की है। लक्ष्य सेक्टर का ध्यान कॉस्ट-बेस्ड से इनोवेशन-बेस्ड ग्रोथ पर शिफ्ट करना है। यह स्कीम फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में भारत के रिसर्च इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाएगी।
भारत की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री वर्तमान में उत्पादन मात्रा के मामले में विश्व स्तर पर तीसरे नंबर पर है, जिसका बाजार साइज लगभग 50 बिलियन डॉलर है। मंडाविया ने इसे फार्मास्युटिकल सेक्टर में आत्मनिर्भरता के लिए एक स्पष्ट संदेश बताते हुए फार्मास्युटिकल और मेडटेक इंडस्ट्री में ग्लोबल लीडर बनने के लिए भारत में एक मजबूत रिसर्च ईकोसिस्टम स्थापित करने के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि हमारे पास भारत में रिसर्च नहीं होती है, लेकिन मल्टीनेशनल कंपनियां अपने मुनाफे का 20-22 प्रतिशत रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) में निवेश करती हैं, जबकि एक भारतीय कंपनी का निवेश औसत लगभग 10 प्रतिशत है।
भारतीय फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री ने मुख्य रूप से जेनेरिक दवाओं के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया है और इस सेक्टर में ग्लोबल लीडरशिप हासिल की है। 16 अगस्त के एक नोटिफिकेशन में यह कहा गया, “वित्तीय वर्ष 2021 में, टॉप 10 भारतीय दवा कंपनियों ने अपनी बिक्री का लगभग 7.2% रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) में निवेश किया था। ज्यादा रिसर्च और इनोवेशन को प्रोत्साहित करके देश में रिसर्च एवं डेवलपमेंट खर्च को बढ़ावा देने की जरूरत है।
भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA) के महासचिव सुदर्शन जैन ने फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री के इनोवेशन और वैल्यू चेन को आगे बढ़ाने में इस मील के पत्थर के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फंडिंग, नियमों को सरल बनाने और इंडस्ट्री और शिक्षा जगत के बीच सहयोग को बढ़ावा देने से देश में समग्र रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) ईकोसिस्टम में वृद्धि होगी।
यह स्कीम एक महत्वपूर्ण समय में आई है क्योंकि दुनिया भर में मेडिकल डिवाइस का बाजार 2021 में 455.34 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2021 और 2028 के बीच 5.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ 657.98 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, भारत वर्तमान में ग्लोबल मेडिकल का केवल 1.5% है। वहीं, ग्लोबल मेडटेक रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) वर्कफोर्स में भारत की 8% हिस्सेदारी है।
फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया की एक हालिया रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि वित्त वर्ष 24 में भारतीय फार्मा निर्यात बढ़कर 24 बिलियन डॉलर हो सकता है, जो कि वित्त वर्ष 23 में 23 बिलियन डॉलर से ज्यादा है।