ऊंची परिवहन लागत से रूस से तेल की खरीदी पर लाभ घटकर 4 डॉलर
मुंबई- ऊंची परिवहन की लागत के चलते रूस से खरीदे जा रहे कच्चे तेल पर भारत का फायदा घटकर 4 डॉलर बैरल पर आ गया है। पिछले साल मध्य में यह छूट 30 डॉलर प्रति बैरल थी। रूस से तेल के परिवहन के लिए जिन इकाइयों को नियुक्त किया गया है, वे भारत से सामान्य से काफी ज्यादा परिवहन कीमत ले रही हैं जो 9 से 11 डॉलर प्रति बैरल है।
भारतीय रिफाइनरियों से रूस 60 डॉलर प्रति बैरल से भी कम कीमत ले रहा है लेकिन कुल लागत के साथ यह 70-75 डॉलर प्रति बैरल हो रही है। भारतीय रिफाइनरी रूस से कच्चे तेल की खरीद उसकी आपूर्ति किए जाने के आधार पर खरीदती हैं। इससे रूस को तेल के परिवहन और बीमा की व्यवस्था करनी पड़ती है। प्रतिबंध के चलते रूसी यूराल्स कच्चे तेल का कारोबार ब्रेंट कच्चे तेल यानी वैश्विक बेंचमार्क कीमत से काफी कम दाम पर होने लगा। पिछले कुछ माह के दौरान समुद्र के रास्ते भारत की रूसी कच्चे तेल की खरीद चीन को पार कर गई है।
सूत्रों के मुताबिक, यह छूट ऊंची रह सकती थी, यदि सरकारी कंपनियां इस बारे में सबके साथ मिलकर बातचीत करतीं। फिलहाल रूस से प्रतिदिन 20 लाख बैरल कच्चा तेल आ रहा है जो कुल कच्चा तेल खरीद में 44 फीसदी हिस्सा है। इसमें सरकारी कंपनियों का हिस्सा करीब 60 फीसदी है। यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले फरवरी, 2022 तक समाप्त 12 माह की अवधि में भारत रूस से प्रतिदिन 44,500 बैरल कच्चा तेल खरीदता था।
रूस से कच्चे तेल खरीद कर मई 2023 तक के 14 महीनों में भारत ने करीब 58 हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा बचाई है। अप्रैल 2022 से मई 2023 के बीच भारत ने कुल 186.45 अरब डॉलर के मूल्य का कच्चे तेल का आयात किया। यदि भारतीय रिफाइनर कंपनियों ने रूसी तेल कंपनियों की बजाय कहीं और से कच्चा तेल ख़रीदा होता तो उन्हें 196.62 अरब डॉलर का भुगतान करना होता है।