एअर इंडिया में मिलेंगी बड़े पैमाने पर नौकिरयां, वेतन भी भारी भरकम मिलेगा 

मुंबई- एयर इंडिया ने 470 विमानों का आर्डर क्या दिया है, एविएशन जगत में खलबली मच गई है। इससे देश में हवाई यातायात की सेवा बेहतर होगी ही। विशेषज्ञों का कहना है आने वाले दिनों में भारतीय विमानन उद्योग में रोजगार बरसेंगे। ये रोजगार ऐसे-वैसे नहीं होंगे बल्कि भारी भरकम वेतन वाले होंगे। 

टाटा ग्रुप की कंपनी एयर इंडिया ने पिछले दिनों ही 470 एयरक्राफ्ट का आर्डर प्लेस किया है। यह आर्डर फ्रांस की कंपनी एयरबस और अमेरिकी कंपनी बोइंग को गया है। इससे उन देशों में तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे ही भारत समेत कुछ अन्य देशों में भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसमें विमानन उद्योग से जुड़ा डाइरेक्ट रोजगार अवसर के साथ साथ कुछ अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर भी होगा। ये जॉब होंगे पायलट के, फ्लाइट इंजीनियर के, केबिन क्रू के। ये सभी नौकरी भारी वेतन वाले हैं। 

भारतीय एविएशन इंडस्ट्री में आने वाले दिनों में करीब दो लाख लोगों की नौकरी निकलेगी। किसी कंपनी के बेड़े में एक नैरो बॉडी एयरक्राफ्ट जुड़ता है तो 400 लोगों के लिए रोजगार के अवसर निकलते हैं। इसी तरह यदि बेड़े में वाइड बॉडी एयरक्राफ्ट जुड़ता है तो 600 से 700 लोगों के लिए रोजगार का अवसर निकलता है। इसमें पायलट से लेकर केबिन क्रू, इंजीनियर, ग्राउंड सर्विस स्टाफ आदि सभी शामिल हैं। 

आने वाले दिनों में भारत में पायलटों की कमी होने वाली है। एयर इंडिया के 470 विमानों की डिलीवरी अगले 10 साल में होगी। मतलब कि हर महीने तीन से चार एयरक्राफ्ट बेड़े में जुड़ेंगे। अमेरिकी रूट जैसी लंबी फ्लाइट में 12 सेट पायलट की जरूरत होती है। यहां एक सेट पायलट का मतलब है एक पायलट और एक को-पायलट। यदि लांग हॉल या यूरोप के रूट पर एयरक्राफ्ट लगा रहे हैं तो औसतन 8.5 सेट पायलट और केबिन क्रू की जरूरत होती है। यदि नैरो बॉडी एयरक्राफ्ट है तो सात सेट कॉकपिट क्रू की जरूरत होती है। मतलब कि सिर्फ एयर इंडिया को ही 470 नए एयरक्राफ्ट को उड़ाने के लिए करीब 7,000 पायलटों की जरूरत होगी। 

एयर इंडिया में अभी भी पायलटों की कमी है। स्थिति यह है कि पायलटों की कमी की वजह से कंपनी को अमेरिका और कनाडा जैसे मलाईदार रूट पर भी फ्लाइट कैंसिल करना होता है। एयर इंडिया इस समय हर रोज 100 फ्लाइट ऑपरेट करती है। इनमें से हर रोज करीब 30 फ्लाइट कैंसिल करना होता है। मतलब कि रोज रेवेन्यू में तीन करोड़ रुपये का घाटा होता है। कंपनी पायलटों की कमी की वजह से फ्लाइट तो कैंसिल कर देती है लेकिन उसी समय सपोर्ट क्रू को आपको होटल या घर में रोकना होता है। उस पर भी पैसे खर्च होते हैं। ग्राउंड हैंडलिंग स्टाफ भी आपका इडल पड़ा रहता है। 

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