पुरानी कारों पर ग्राहकों का भरोसा, 23 अरब डॉलर का हुआ बाजार 

नई दिल्ली। कार के शौकीन पुरानी कारों पर भरोसा जता रहे हैं। देश में पुरानी कारों का बाजार वित्त वर्ष 2021-22 में 23 अरब डॉलर का रहा है जो कि 2026-27 तक 19.5 फीसदी सालाना की दर से बढ़ सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में पुरानी कारों का बाजार वर्तमान में असंगठित है और इसका ज्यादातार लेन-देन सड़क के किनारे गैरेज, छोटे एजेंटों और कार मालिकों के बीच होता है। हालांकि, अब संगठित तरीके से कंपनियां भी इसमें उतर रही हैं।  

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले पांच साल में पुरानी कारों के बाजार के इस विकास में मध्यम और युवा आबादी का योगदान ज्यादा होगा। बढ़ती आय और टेक्नोलॉजी के कारण पारदर्शिता, सुविधा के साथ लेन-देन में आसानी से कारों की उपलब्धता बढ़ रही है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि कम समय में कारों के नए मॉडल की लॉन्चिंग से पुरानी कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही बोनस और बायबैक की गारंटी भी इसमें योगदान कर रही है। ऑनलाइन संगठित क्षेत्र, सरकारी मदद और अन्य प्लेटफॉर्म की वजह से भी पुरानी कारों की बिक्री तेजी से हो रही है। 80 लाख कारों की बिक्री 2026 तक होने की उम्मीद है। 2021-22 तक भारत में 44 लाख कारें बिकी थीं, जबकि अमेरिका, चीन, यूके, जर्मनी और फ्रांस में 80 मिलियन से ज्यादा कारें बेची गई थीं। 

भारतीय ग्राहक पुरानी कारों को इसलिए खरीद रहे हैं क्योंकि निजी उपयोग और कारोबार बढ़ाने के लिए गाड़ी की जरूरत है। ये कारें बजट में आ जाती हैं, जिससे आर्थिक अनिश्चितता में बचत हो जाती है। बड़ी कंपनियां प्रमाणित, उच्च क्वालिटी और वारंटी के साथ कारों की बिक्री कर रही हैं। साथ ही विश्वास और पारदर्शिता भी इसमें रहती है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि हर 4 में से एक पुरानी कार बिकती है। इसकी औसत कीमत 4.5 लाख रुपये होती है। पुरानी कारों की औसत उम्र 4 साल की होती है। 65 फीसदी बिक्री महानगरों में और 35 फीसदी गैर महानगरों में होती है। कोरोना के बाद इन कारों की मांग में काफी तेजी आई है। पुरानी कारों का संगठित बाजार वित्त वर्ष 2021-22 में 20 फीसदी से बढ़ा, जो 2026-27 में 45 फीसदी तक बढ़ सकता है। 

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