आईपीओ से पहले और बाद के मूल्यांकन का कंपनियां करें खुलासा, सेबी की चेतावनी
मुंबई- सेबी ने मंगलवार को आईपीओ लाने वाली कंपनियों को कुछ खुलासा करने की सलाह दी है। इसने कहा कि कंपनियों को आईपीओ से पहले की योजनाओं के समय और आईपीओ के समय के मूल्यांकन के बारे में अधिक खुलासा करना चाहिए। ऐसा देखा गया है कि दोनों मूल्यांकन में काफी अंतर रहता है।
उदाहरण के तौर पर कोई कंपनी निवेशकों को 100 रुपये प्रति शेयर के भाव पर शेयर बेच रही है, लेकिन कुछ माह बाद जब वह आईपीओ लाती है तो भाव 450 रुपये तक चला जाता है। सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा कि सेबी का काम नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकी कंपनियों के आईपीओ के लिए मूल्य सुझाना नहीं है। टेक कंपनियों के मूल्य को लेकर काफी कुछ कहा जाता है। आप किस भाव पर आईपीओ लाना चाहते हैं यह देखना आपका काम है।
बुच ने कहा कि कंपनी इश्यू के दौरान ऊंचा भाव मांगने के लिए आजाद है, लेकिन उसे यह खुलासा करना चाहिए कि इस बीच के समय में ऐसा क्या हुआ है, जिससे शेयर का भाव इतना बढ़ गया है। देखने में यह आया है कि नई पीढ़ी की कंपनियों के ऊंचे मूल्यांकन से खुदरा निवेशक सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इसमें सबसे ज्यादा चपत पेटीएम के निवेशकों को लगी है।
सेबी चेयरपर्सन ने कहा कि निवेश बैंकरों को इन सवालों का जवाब देना चाहिए। नियामक नियम बनाते समय सिर्फ आंकड़ों पर काम करता है। उनका कहना था कि पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत सेबी ने प्रत्येक ऐसे विभाग में एक से तीन अधिकारियों की नियुक्ति की है जिनका काम ऐसे नियमन पर काम करना है जिससे उद्योग के लोग खुश रहें। इसी के साथ सेबी फ्यूचर एवं ऑप्शन सेगमेंट में खुदरा भागीदारी पर आंकड़ों और सूचनाओं का विश्लेषण कर रहा है। जिससे उन्हें और ज्यादा खुलासे उपलब्ध कराए जा सकते हैं।