अब ज्यादा से ज्यादा अस्पतालों में मिलेगी कैशलेस इलाज की सुविधा
मुंबई- अब ज्यादा से ज्यादा अस्पतालों में मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिल सकेगी। बीमा नियामक भारतीय बीमा विकास विनियामक प्राधिकरण (इरडाई) ने बीमा कंपनियों को अपनी मर्जी से अस्पतालों को पैनल में शामिल करने की आजादी दी है। इससे कंपनियों को अपने बोर्ड स्तर पर एक नीति बनानी होगी। उसके बाद वे किसी भी अस्पताल को पैनल में ला सकती हैं।
इस फैसले से देश में कैशलेस सुविधाओं के नियमों को आसान बना दिया गया है। अभी तक, उन्हीं अस्पतालों को पैनल में शामिल करने की इजाजत थी, जिनके पास एनबीएच का प्रमाणपत्र है। या फिर अस्पताल को रोहिनी (रजिस्ट्री ऑफ हॉस्पीटल्स इन द नेटवर्क ऑफ इंश्योरर्स) में पंजीकरण होना जरूरी होता था। इरडाई ने बीमा कंपनियों के साथ तीसरी पार्टी प्रशासक (टीपीए) को इस संबंध में पत्र भेजा है।
इरडाई ने कहा है कि बोर्ड की नीति में अस्पताल में कम से कम श्रमबल और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी सुविधाओं का ध्यान रखें। साथ ही बोर्ड द्वारा मंजूर पैनल के नियमों को समय-समय पर कंपनियों की वेबसाइट पर भी डालना जरूरी है। बीमा सूचना ब्यूरो (आईआईबी) द्वारा अनुरक्षित अस्पताल रोहिणी में पंजीकृत नेटवर्क प्रदाता ही बीमाकर्ताओं की ओर से सूचीबद्ध किए जा सकते हैं।
इरडाई ने कहा है कि पैनल में उन्हीं अस्पतालों को शामिल किया जाएगा, जो बीमा कंपनियों के बोर्ड द्वारा तैयार नियमों का पालन करेंगे। बीमा कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि बीमा कारोबार लगातार सुधार कर रहा है। इस सर्कुलर से अब बीमा की पहुंच ज्यादातर इलाकों में और ज्यादा अस्पतालों में हो सकेगी। इससे अधिक से अधिक लोगों तक बीमा की पहुंच भी बढ़ेगी।
जीएसटी परिषद ने हाल में हर दिन 5,000 रुपये वाले ज्यादा किराये के रूम पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने को मंजूरी दी है। इससे स्वास्थ्य बीमा भी महंगा हो सकता है। इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर भी 18 फीसदी का जीएसटी लागू है। इससे बीमा कंपनियों को अस्पताल के पैकेज में भी बदलाव करना पड़ेगा।