दो दिन में निवेशकों के डूबे 5.27 लाख करोड़ रुपए

मुंबई- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 1,210 पॉइंट्स टूटा है। इससे निवेशकों को 5.27 लाख करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। मंगलवार को सेंसेक्स 554 अंक गिरा था। बुधवार को इसमें 656 अंकों से ज्यादा की गिरावट आई।

अगर रूस और यूक्रेन के बीच मामला बढ़ता है तो निकट समय में इसका असर और ज्यादा बाजारों पर हो सकता है। बुधवार को सेंसेक्स दोपहर में 60 हजार के नीचे और निफ्टी 18 हजार के नीचे पहुंच गया था। सोमवार के हाई से सेंसेक्स में 1,432 पॉइंट्स की गिरावट दर्ज की गई है।

लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप सोमवार को 280.10 लाख करोड़ रुपए था, जो मंगलवार को 276.44 लाख करोड़ रुपए पर बंद हुआ। आज यह 274.83 लाख करोड़ रुपए रहा। बाजार में गिरावट का कारण कच्चे तेल की कीमतों और उससे होने वाली महंगाई की वजह से है। कच्चे तेल की कीमतें 87 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई हैं। इस वजह से आने वाले समय में महंगाई पर इसका असर दिखेगा। इसके साथ ही अमेरिकी बॉण्ड का ब्याज भी बढ़ रहा है।

कुछ देशों में भौगोलिक और राजनीतिक तनाव से भी बाजारों पर दबाव बना हुआ है। विदेशी निवेशक (FII) लगातार बाजार से निकासी कर रहे हैं। बुधवार को IT कंपनियों के शेयर्स में ज्यादा गिरावट दिखी। इंफोसिस से लेकर TCS तक के स्टॉक नीचे कारोबार करते रहे।

कई सारे फैक्टर्स की वजह से बाजार पर दबाव है। इसमें ज्यादा ब्याज दर और कच्चे तेलों की कीमतें प्रमुख हैं। हालांकि CLSA के विकास जैन कहते हैं कि ऐतिहासिक रूप से कच्चे तेल की कीमतें जब ऊपर जाती हैं तो एक जोखिम का संकेत मिलता है। हालांकि जब भी मांग की वजह से जब तेल का भाव बढ़ता है तो भारतीय बाजार अच्छा प्रदर्शन करता है।

वैश्विक स्तर पर शेयर बाजार गिरावट में आज कारोबार कर रहे थे। कच्चे तेल की कीमतें लगातार चौथे दिन ऊपर रहीं। रसिया और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव से खाड़ी देशों में चिंता है। इसी तरह से महंगाई की बात करें तो अमेरिका में 10 साल का ब्याज 2 साल के ऊपरी स्तर 1.89% पर पहुंच गया है।

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के ऑयल टैंकर्स पर किए गए हमले के बाद से ऑयल की कीमतें 7 साल के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई हैं। गोल्डमैन ने कहा है कि मई या जून तक यह 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मांग ज्यादा है और सप्लाई बाधित हो रही है।

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