कनाडा कोर्ट का फैसला- एअर इंडिया की विदेश में संपत्तियां जब्त हो सकती हैं,

मुंबई- कनाडा के एक कोर्ट ने वहां के क्यूबेक प्रांत और विदेशों में एअर इंडिया और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) की संपत्तियां जब्त करने की मंजूरी दे दी है। देवास मल्टीमीडिया कंपनी दस साल से इसके लिए लड़ाई लड़ रही थी।  

24 नवंबर और 21 दिसंबर को सुपीरियर कोर्ट ऑफ क्यूबेक ने दो अलग-अलग आदेश जारी किए। इसमें कहा गया कि AAI की 50 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त करने को मंजूरी दी गई है। AAI हवाई अड्‌डों का संचालन करने वाली कंपनी है। इसके अलावा एअर इंडिया की भी संपत्ति जब्त कर ली गई है। इसकी कीमत 228 करोड़ रुपए मानी जा रही है। 

यह आदेश तब आया है जब भारत सरकार ने एअर इंडिया के टाटा को बेचने के सौदे के अंतिम चरण में है। टाटा ग्रुप ने नवंबर में कहा था कि कंपनी को ऐसे दावों से बचाने के लिए समझौते में समुचित प्रावधान हैं। इसका अर्थ है कि देवास को जो भी पैसा मिलेगा, वह भारत सरकार को देना होगा और टाटा का उस पर कोई असर नहीं होगा। 

बंगलुरू की कंपनी देवास ने ऐसे कई मुकदमे पहले भी जीते हैं। इसमें इंटरनेशनल चेंबर ऑफ कॉमर्स के ऑर्बिट्रेशन कोर्ट ने 2011 में एंट्रिक्स कॉर्प के साथ कैंसिल हो गए उपग्रह समझौते में उसे 1.3 अरब डॉलर का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। एंट्रिक्स कॉर्प भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो की बिजनेस ब्रांच है। 

कंपनी के विदेशी हिस्सेदारों ने भारत के खिलाफ अमेरिका, कनाडा और कई अन्य जगहों पर मुकदमा कर रखा था। उन्होंने भारत पर समझौते की शर्तें ना निभाने का आरोप लगाया था। हिस्सेदारों के लिए वकालत करने वाली कंपनी गिब्सन, डन एंड क्रचर के वकील मैथ्यू डी मैकगिल ने कहा कि कनाडा में उनकी जीत उस आधारभूत कानूनी मूल्य को दिखाती है जहां कर्जदारों को अपना कर्ज चुकाना चाहिए।  

देवास के प्रतिनिधियों का कहना है कि मामले की सिर्फ शुरुआत है और कई अन्य ऐसे ही फैसले आने वाले हैं। देवास के प्रतिनिधियों ने कहा कि किसी निवेशक को ऐसे देश में निवेश नहीं करना चाहिए जहां की सरकार समझौते की शर्तों को नजरअंदाज कर सकती हो और निवेशकों को प्रताड़ित करने के लिए अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल करे।  

पिछले साल भी भारत को ऐसा ही झटका लगा था। केयर्न एनर्जी ने फ्रांस में एक मुकदमा जीता था। फ्रांस के एक ट्रिब्यूनल ने जुलाई 2021 में भारत सरकार की पेरिस स्थित करीब 20 संपत्तियों को फ्रीज करने का आदेश दिया था। केयर्न ने भारत सरकार के खिलाफ इस तरह के मामले अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, सिंगापुर और क्यूबेक में दर्ज कराए हैं। हालांकि केयर्न ने बाद में सरकार के साथ समझौता कर लिया और मुकदमा वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।  

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