एनटीपीसी, आईओसी, बीपीसीएल सहित अन्य सरकारी कंपनियों पर 400 करोड़ का जुर्माना

मुंबई– एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड, बीपीसीएल और अन्य कई सरकारी कंपनियों पर इस साल की शुरुआत से 400 करोड़ रुपए का भारी जुर्माना लगाया गया है। मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पिछले पांच साल में पर्यावरण को हुए नुकसान की लागत वसूलने के लिए इन कंपनियों पर जुर्माना लगाया है। 

दरअसल पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर फैसले हेतु टॉप बॉडी एनजीटी ने पर्यावरण को हुई क्षति के लिए गुजरात के मोरबी में 608 सिरेमिक निर्माताओं पर भी 400 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। एनजीटी द्वारा की गई कार्रवाइयों के अनुसार, बीपीसीएल और एचपीसीएल से गैस चैंबर जैसी स्थिति बनाने के लिए 67.5 करोड़ रुपए और 76.5 करोड़ रुपए शुल्क लिया गया था। एजिस लॉजिस्टिक्स से सबसे ज्यादा 142 करोड़ रुपए का शुल्क लिया गया। 

ट्रिब्यूनल ने हाल ही में सीपीसीबी से पर्यावरण की रक्षा के लिए अगले साल जनवरी तक पेटकोक और ईंधन तेल के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने की रिपोर्ट (एटीआर) दायर करने को भी कहा है। बयान में कहा गया है कि इससे सीआईएल को माल भाड़ा रियायत लेने के लिए रेलवे से संपर्क करने के लिए प्रेरित किया गया। 

रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीन इंडिया के आह्वान से पेट्रोनेट एलएनजी जैसी कंपनियों को भी मदद मिलने की उम्मीद है जो एलपीजी में काम करने वाली ऊर्जा कंपनियों में से एक है। प्राकृतिक गैस, वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई के केंद्र में होने की उम्मीद है। पेट्रोनेट एलएनजी, गुजगा, गेल और जीएसपीएल को हवा में होने वाले औद्योगिक प्रदूषण के खिलाफ इन कार्रवाइयों के मद्देनजर सबसे बड़े लाभार्थियों के रूप में देखा जा रहा है। 

प्रदूषणकारी ईंधनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। इससे प्राकृतिक गैस की नई मांग उत्पन्न हो सकती है। उम्मीद की जा रही है कि यह नई मांग वित्त वर्ष 20 में कुल गैस खपत के 16% के बराबर हो सकती है। भारत के प्राकृतिक गैस उत्पादन में चालू वित्त वर्ष के दौरान 14.2% की गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 0.3% की गिरावट दर्ज की गई थी। केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में गुरुवार को कहा गया है कि उत्पादन में गिरावट मुख्य रूप से कोरोना और ग्राहकों द्वारा प्रतिबंधित गैस नहीं लेने के कारण है। 

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