जब यस बैंक के एमडी को अपनी ही ऑफिस का नहीं था पता, जानने के लिए लेना पड़ा गूगल का सहारा, अब 18-18 घंटे करते हैं काम

मुंबई- 5 मार्च की देर शाम प्रशांत कुमार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के उनके पहले के बॉस से अप्रत्याशित रूप से फोन आया। उन्हें देश के सबसे ज्यादा मुश्किल वाले प्राइवेट सेक्टर के यस बैंक को बचाने का काम करने को कहा गया था। इसके साथ एक शर्त यह भी थी कि अगर प्रशांत कुमार हां कहते हैं तो अगले दिन सुबह 8 बजे उन्हें काम के लिए रिपोर्ट करना होगा। यस बैंक के नए एमडी के रूप में प्रशांत कुमार को यह भी नहीं पता था कि यस बैंक की ऑफिस कहां हैं। उन्हें सुबह ऑफिस पहुंचने के लिए गूगल का सहारा लेना पड़ा और इस तरह से ऑफिस पहुंच पाए।  

प्रशांत कुमार याद करते हुए बताते हैं कि पहली बात जो मेरे दिमाग में आई, वह यह थी कि इसका पता कहां है। मुझे गूगल करना पड़ा। कुमार को यस बैंक के सीईओ की पोजीशन को स्वीकार करने में थोड़ी हिचकिचाहट थी। यह बैंक दिवालियापन के कगार पर था और इसे 1.3 अरब डॉलर की जरूरत थी। इस बारे में एकमात्र चिंता उनकी पत्नी की ओर से आई। कुमार कहते हैं कि मेरी पत्नी स्तब्ध थी कि उन्होंने सरकारी बैंक एसबीआई जैसी सुरक्षित मानी जाने वाली नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। एसबीआई में वह मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) थे। 

कुमार ने यस बैंक के बचाव के बारे में कहा कि यदि यस बैंक जैसी वित्तीय संस्था विफल हो जाती तो इसका परिणाम बड़ा भयावह होता। यस बैंक का लोन पोर्टफोलियो जब डावांडोल हो गया तो आरबीआई ने एसबीआई के नेतृत्व में एक बेल आउट पैकेज दिया। कुमार ने कहा कि लोगों, ग्राहकों और यहां तक कि कर्मचारियों का विश्वास डगमगा गया था। बैंक की बुक काफी स्ट्रेस्ड थी यानी जो लोन दिए गए थे वे सभी फंसे थे। यह एसबीआई के पैसे को संभालने की तुलना में एक बहुत अलग चुनौती थी। सीईओ के रूप में शुरूआत करने के बाद से 59 साल के कुमार ने यस बैंक के जमाकर्ताओं के विश्वास को बहाल करने को प्राथमिकता दी। बैंक को छह महीनों में 1.04 लाख करोड़ रुपए का आउट फ्लो झेलना पड़ा, जो उसकी कुल जमा राशि का लगभग आधा है। 

कुमार पहले दो महीनों के दौरान हर दिन एक घंटे जमाकर्ताओं को फोन कर बैंक की स्थिरता के बारे में आश्वस्त करते रहे। वे रोजाना 10-15 लोगों से बात करते हुए इस बात पर जोर देते रहे कि यस बैंक को अब एसबीआई का भी सहारा मिल गया है। कुमार ने कहा कि जब मैं शामिल हुआ तो मेरी सबसे बड़ी चुनौती डिपॉजिट के आउट फ्लो को रोकना था। यह किसी भी बैंक के लिए, एक स्थाई जमा आधार होने सबसे महत्वपूर्ण है। 

एसबीआई और सात अन्य भारतीय बैंकों ने मार्च में यस बैंक में संयुक्त रूप से 79 प्रतिशत हिस्सेदारी ले ली। इससे स्थिति को संभालने में मदद मिली। कुमार ने कहा कि जून के अंत तक जमा राशि लगभग 120 अरब रुपए बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपए हो गई। कुमार ने कहा कि उनका लक्ष्य मार्च 2021 तक जमा राशि बढ़ाकर 2 लाख करोड़ रुपए करना है। इस बचाव से अन्य भारतीय बैंकों में डिपॉजिट को रोकने में भी मदद मिली। हालांकि भारतीय वित्तीय क्षेत्र में तनाव अब भी ऊंचा बना हुआ है। घाटे से लाचार सरकार को अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने के लिए राज्य के बैंकों में पैसा डालने की जरूरत है।  

यस बैंक के लिए अधिक फायदा जुलाई में 15 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त इक्विटी पूंजी जुटाने से हुआ। नई पूंजी ने बैंकों की संयुक्त शेयरहोल्डिंग को घटाकर 45 प्रतिशत कर दिया, जिसमें एसबीआई की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत तक गिर गई। लेकिन भारी डिस्काउंट से यस बैंक के शेयर फिर से गिर गए जो 90 प्रतिशत पहले से ही गिर चुके थे। कुमार अब भी बैंक के बैड बुक लोन को ठीक करने में काफी मशक्कत कर रहे हैं। पुराने प्रबंधन ने बड़े-बड़े धन्नासेठों जैसे कि अनिल अंबानी, मीडिया के मुगल सुभाष चंद्रा, कॉफी चेन के ओनर वीजी सिद्धार्थ जैसे लोगों को लोन दे रखा था। सिद्धार्थ तो आत्महत्या भी कर चुके हैं। बैंक ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन को भी लोन दिया है जो 2019 में ही दिवालिया हो चुकी है। 

यस बैंक के एनपीए यानी बुरा फंसा कर्ज दिसंबर के अंत में बढ़कर 407 अरब रुपए हो गया, जो उसकी लोन बुक का करीब पांचवां हिस्सा है। कुमार ने कर्जदारों से बातचीत के बारे में कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन मैं अपने पैसे की वसूली के लिए इस दुनिया में हर संभव प्रयास करूँगा। कार्यभार संभालने के तुरंत बाद कुमार ने 100 कर्मचारियों के साथ अलग से स्ट्रेस्ड असेट्स टीम बनाई। वह बैड लोन को एक अलग इक्विटी निवेश के साथ एंटिटी के रूप में स्थापित करने के लिए विशेषज्ञों की राय लेने पर विचार कर रहे हैं। 

कुमार ने कहा कि वह बड़े कॉर्पोरेट ग्राहकों की बजाय खुदरा ग्राहकों को लोन देने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, जिसके कारण खराब कर्जों में बढ़ोतरी हुई। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस में फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस ग्रुप में वाइस प्रेसिडेंट अलका अनबारसु ने कहा कि बैंक अपने डिपॉजिट बेस में सुधार करने में सफल रहा है और इसने बहुत जरूरी पूंजी भी जुटाई। 

उन्होंने कहा कि हालांकि यस बैंक को लंबा रास्ता तय करना है। बैंक को अपने पुराने डिपॉजिट बेस और इसकी साख को हासिल करने में थोड़ा वक्त लग सकता है क्योंकि इसे अभी कई मुश्किलें पार करनी बाकी है। अपनी नई नौकरी के पांच महीने में कुमार ने कहा कि उन्होंने हर दिन काम किया है। आमतौर पर लंबे समय तक रुक कर काम किया है। उन्होंने कहा कि उनकी नींद भी पूरी नहीं हो पाई है क्योंकि सोने को उन्हें सिर्फ चार घंटे मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीजें आसान नहीं हैं। लिक्विडिटी, डिपॉजिट और रिकवरी जैसी चुनौतियां शामिल हैं और मुझे सब कुछ क़रने की जरूरत है। 

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