आरबीआई ने 13 फॉरेक्स कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए, कुछ ने सरेंडर किया तो कुछ ने नियमों का पालन नहीं किया
मुंबई– भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 13 फॉरेक्स कंपनियों के लाइसेंस को रद्द कर दिया है। इसमें कुछ कंपनियों ने खुद लाइसेंस सरेंडर कर दिया तो कुछ कंपनियों ने लाइसेंस रिन्यूअल के लिए आवेदन नहीं किया। कुछ कंपनियों का लाइसेंस इसलिए भी रद्द हुआ क्योंकि वे फेमा के नियमों का पालन करने में असफल रही हैं।
आरबीआई ने एक पब्लिक नोटिस में यह जानकारी दी है। आरबीआई ने कहा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत जिन कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं उसमें मुंबई की जेड ए राइजिंग फॉरेक्स और फोरट्रा फॉरेक्स एंड ट्रैवेल सर्विसेज हैं। इसके अलावा डीकेबी फॉरेक्स, जेपी फॉरेक्स, रिमझिम फॉरेक्स, राज राजेश्वरी फॉरेक्स, इवॉन फॉरेक्स, फिनपिक सिक्योरिटीज ब्रोकिंग और बेलॉक्स फॉरेक्स का समावेश है। यह सभी कंपनियां मुंबई के पते पर रजिस्टर्ड हैं। इनका लाइसेंस इसलिए रद्द किया गया है क्योंकि इन्होंने लाइसेंस के रिन्यूअल के लिए आवेदन नहीं किया है।
इसी तरह टीसी फॉरेक्स सर्विसेज, नित्यासिटी एक्सचेंज, रिबेरा ट्रैवेल्स एंड फॉरेक्स और वॉल स्ट्रीट डेरिवेटिव्ज एंड फाइनेंशियल जैसी कंपनियों ने खुद ही लाइसेंस सरेंडर कर दी हैं। दरअसल पिछले 5 महीनों से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की सेवा बंद होने से इन कंपनियों का कारोबार पूरी तरह से बंद हो चुका था। ऐसे में एयरपोर्ट पर ऑफिस को चलाना काफी खर्चीला साबित हो रहा था। इसलिए इन कंपनियों ने अपने लाइसेंस को सरेंडर कर दिया है।
बता दें कि फॉरेक्स का कारोबार मुद्राओं (करेंसी) को बदलने के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर आप को अगर थाईलैंड या सिंगापुर या कहीं भी विदेश में जाना है तो आपको इसके लिए वहां की लोकल मुद्रा को रखना जरूरी होता है। हालांकि यह काम आप उस देश के एयरपोर्ट पर पहुंचने पर भी कर सकते हैं, लेकिन रुपए को उस देश की मुद्रा में बदलने का चार्ज वहां ज्यादा हो सकता है। इसलिए यहां से विदेश जाने वाले लोग ज्यादातर देश के ही एयरपोर्ट पर रुपए को देकर विदेश की मुद्रा ले लेते हैं। इस पर अलग-अलग कंपनियां एक चार्ज लगाती हैं। यह अलग-अलग देशों की मुद्राओं पर निर्भर होता है।