कोरोना पर नियंत्रण और खर्च में तेजी से 9% की दर से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था
मुंबई- अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच देश की अर्थव्यवस्था करीबन 9% की दर से बढ़ सकती है। इस बढ़त का मुख्य कारण कोरोना पर नियंत्रण और निजी सेक्टर तथा सरकार द्वारा खर्च पर लगातार फोकस करना है। दुनिया भर के सारे अनुमानों और खुद सरकार के अनुमान में यह बात सामने आई है।
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष ने कहा है कि भारत की GDP दूसरी तिमाही में 8.1% की दर से बढ़ सकती है। हालांकि पूरे साल यानी अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच GDP की ग्रोथ 9.3 से 9.6% रह सकती है। इस दौरान रीयल GDP 2.4 लाख करोड़ रुपए बढ़कर 145.69 लाख करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है। इसका कारण यह है कि बड़े पैमाने पर आबादी को वैक्सीन लग चुका है। इकोनॉमिक ग्रोथ दिख रही है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा है कि सरकार द्वारा लगातार खर्च में बढ़ोत्तरी किए जाने से 2021-22 के दौरान GDP की ग्रोथ 7.9% रह सकती है। जुलाई-सितंबर के दौरान इसने 7.7% की ग्रोथ का अनुमान लगाया है। इस एजेंसी ने कहा है कि इकोनॉमिक एक्टिविटी को औद्योगिक और सेवा सेक्टर से ज्यादा मदद मिलेगी।
गोल्डमैन ने कहा है कि 2021-22 में देश की GDP की ग्रोथ 9.1% रह सकती है। सालाना आधार पर यह 8% की तुलना में ज्यादा रहेगी। 2021 में यह 8% थी जो कि 2020 में इसमें 7% की गिरावट आई थी। GDP की ग्रोथ का कारण सरकार द्वारा लगातार खर्च और निजी कॉर्पोरेट द्वारा खर्च किया जाना है। साथ ही हाउसिंग निवेश में भी सुधार हो रहा है।
गोल्डमैन ने कहा कि 2022 में GDP ग्रोथ में खपत एक बड़ा कारण होगा। इकोनॉमी पूरी तरह से खुल गई है। कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है। इसने कहा है कि रिजर्व बैंक अब रेपो रेट को बढ़ाने की सोच सकता है। क्योंकि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक दरों को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। 2022 में 75 बेसिस पॉइंट (0.75%) रेपो रेट में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
रिजर्व बैंक (RBI) ने भी पूरे साल के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 9.5% लगाया है। भारत में कोरोना के मामले काफी कम हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना से प्रभावित टॉप 15 देशों में सबसे कम मामले भारत में हैं। भारत में कोरोना के एक्टिव केस 1.24 लाख हैं, जो जून 2020 की तुलना में कम है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने कहा है कि भारत की GDP की ग्रोथ चालू वित्त वर्ष में 8.3% की दर से बढ़ सकती है। पब्लिक इन्वेस्टमेंट और इंसेंटिव की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी आएगी। हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा सेक्टर इस ग्रोथ को लीड करेगा। इंसेंटिव का मतलब सरकार ने हाल में जो प्रोडक्शन से जुड़े इंसेंटिव को घोषित किया है। इसमें 11 सेक्टर को यह फायदा मिलेगा। ये सभी मैन्युफैक्चरिंग वाले सेक्टर हैं।
दुनिया के प्रसिद्ध ब्रोकरेज हाउस UBS सिक्योरिटीज ने कहा है कि भारत की GDP की ग्रोथ रेट 9.5% रह सकती है। पहले इसने 8.9% का अनुमान लगाया था। हालांकि वित्तवर्ष 2023 में ग्रोथ रेट 7.7% रह सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्याज की जो अभी कम दरें हैं, वह ऊपर जाने लगेंगी।
इसने कहा है कि रिजर्व बैंक अपनी पॉलिसी की दरों में अगले वित्तवर्ष में 50 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोत्तरी कर सकता है। जून तिमाही में देश की GDP 20.1% की दर से बढ़ी थी। रेटिंग एजेंसी फिच का अनुमान भी इन्हीं सब अनुमानों की तरह है। इसने वित्तवर्ष 2022 में 8.7% का ग्रोथ का अनुमान लगाया है। हालांकि उसके अगले साल यानी वित्तवर्ष 2023 में यह ग्रोथ 10% के आस-पास रह सकती है।
भारत सरकार ने अपने अनुमान में कहा है कि देश की विकास दर 10.5% चालू वित्तवर्ष में रह सकती है। इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल ने कहा कि अगले वित्तवर्ष यानी 2022 अप्रैल से 2023 मार्च के दौरान ग्रोथ 7 से 7.5% के बीच रह सकती है। अगला बजट सरकारी कंपनियों को प्राइवेट करने पर ज्यादा फोकस कर सकता है। मोर्गन स्टेनली ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगले तीन सालों में भारत का औसत ग्रोथ रेट 7% रह सकता है।