इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग पर PLI स्कीम की होगी समीक्षा, लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल

मुंबई- सरकार इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग पर प्रोडक्शन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं की बड़े पैमाने पर समीक्षा करने के लिए तैयार है। ऐसी चिंताएं सामने आ रही हैं कि 2026 तक लोकल प्रोडक्शन के लिए पहले से ही कम किए गए 250 से 300 बिलियन डॉलर का लक्ष्य भी प्राप्त करना कठिन हो सकता है। 

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि हमें 2026 तक इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्शन के लिए 250 से 300 अरब डॉलर के लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाए, इसका विस्तृत रोडमैप तैयार करने के लिए कहा गया है। अधिकारी ने कहा कि IT हार्डवेयर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह योजना के प्रति उदासीन रवैये को दर्शाता है क्योंकि कंपनियां केवल आधे उत्पादन लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रही हैं।

अगर वस्तु एवं सेवा कर (GST) में कमी और 5G प्रसार जैसे मुद्दों को हल नहीं किया जाता है दिक्कत बढ़ सकती है। यहां तक कि मोबाइल फोन का भी उत्पादन, जो कुल लक्ष्य का 40% का योगदान करने वाला है और जिसने शुरुआत में अच्छा काम भी किया लंबे समय के लक्ष्य से चूक सकता है। 

अधिकारियों का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अधिकारियों से यह पता लगाने के लिए कहा है कि 2026 तक निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए क्या किया जाना चाहिए। भारत का मोबाइल हैंडसेट उद्योग चाहता है कि मोबाइल फोन पर GST की दर 18% से घटाकर 12% और अन्य कंपोनेंट पर 5% की दर की जाए। क्योंकि ज्यादा दर से कीमतों में वृद्धि हुई है और मांग भी प्रभावित हो रही है।  

MeitY को विशेष रूप से यह देखने के लिए कहा गया है कि क्या IT हार्डवेयर के लिए मौजूदा PLI योजना को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए बदलाव की आवश्यकता है, या फिर कोई नई योजना शुरू करने की जरूरत है। सरकार ने इस साल फरवरी में कुल 3.26 लाख करोड़ रुपए का प्रोडक्शन हासिल करने के लिए 7,325 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया था। हालांकि, बड़ी कंपनियां डेल, फ्लेक्स, फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन ने केवल 1.60 लाख करोड़ रुपए का प्रोडक्शन किया है, जो लक्ष्य का लगभग आधा है।

टैबलेट और लैपटॉप के प्रमुख निर्माताओं में से एक एपल ने इस योजना को पूरी तरह से मिस कर दिया है। अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स के माध्यम से स्मार्टफोन बनाने वाली इस कंपनी के कुल निर्यात का 80% हिस्सा PLI स्कीम से ही आता है। उद्योग के अधिकारियों ने पाया कि 2026 तक लगभग 7 बिलियन डॉलर का योगदान देने वाले हियरेबल्स और वियरेबल्स की पॉलिसी को अभी तक अमल में नहीं लाया गया है।

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