अब सदा के लिए नहीं है हीरा, कीमतों में तेजी से डायमंड के ग्राहक अब गोल्ड जूलरी की कर रहे हैं खरीदारी

मुंबई- हीरा है सदा के लिए। बहुत प्रसिद्ध टैग लाइन अब कमजोर होती जा रही है। रुझान बताते हैं कि सोने की बढ़ती कीमतों ने हीरों के ग्राहकों को आकर्षित किया है। यानी अब लोग डायमंड की बजाय सोने की जूलरी खरीदना पसंद कर रहे हैं। इसके दो कारण हैं। एक तो सोने ने हाल फिलहाल बहुत अच्छा रिटर्न दिया है और आगे भी इसकी गुंजाइश बनी हुई है। जबकि हीरा की रीसेल वैल्यू नहीं होती है। 

टाइटन के सीएफओ सुबमणियन कहते हैं कि सोने की तुलना में अब डायमंड की चमक फीकी पड़ रही है। सोने की बढ़ती कीमतों से टाइटन की गोल्ड जूलरी की मांग में अच्छी वृद्धि देखी गई है। डायमंड स्पष्ट रूप से इस समय महिलाओं के लिए पसंदीदा नहीं है। हमारे ज्यादातर ग्राहक जो पहले डायमंड की मांग करते थे, वे अब इस समय सोने के गहनों की खरीदारी कर रहे हैं। लोग सोने की खरीदी ज्यादा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसकी रीसेल वैल्यू है। यह एक असेट अलोकेशन है और सुरक्षित असेट्स है।  

वे कहते हैं कि यदि आप शेयर बाजार की ओर देखें तो वह भी अब तेजी में है। लोग वहां से निकल रहे हैं। डेट बाजार में ब्याज दरें काफी कम रिटर्न दे रही हैं। इस तरह से सोने को एक सुरक्षित असेट्स के रूप में देखा जा रहा है। यह निवेश का पसंदीदा साधन इस समय बना हुआ है। वे कहते हैं कि अगस्त में अब तक कंपनी ने पिछले साल की तुलना में ज्यादा बिक्री की है। टाइटन तनिष्क ब्रांड के तहत जूलरी की बिक्री करती है। इसके रेवेन्यू में 83 प्रतिशत योगदान जूलरी ब्रांड का ही है।  

वे कहते हैं कि गोल्ड जूलरी के अलावा सोने के सिक्कों की मांग में वृद्धि हुई है। जनवरी 2020 से सोने की कीमतें अब तक 40 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी हैं। इसका कारण सोने की वैश्विक दरों में तेजी और डॉलर की तुलना में रुपए में कमी रही है। साथ ही यह भी अनुमान है कि आरबीआई और सरकार अर्थव्यवस्था को गति देते रहेंगे, जिससे सोने की कीमतें बढ़ती रहेंगी। 7 अगस्त को सोने की कीमतें 56,191 रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंच गई थीं। जबकि 19 अगस्त को यह 55,360 रुपए प्रति दस ग्राम थी। जूलरी व्यापारियों का अनुमान है कि सोने की कीमतों में तेजी बनी रहेगी। इसके साथ ही टाइटन चालू वित्त वर्ष में 20-30 नए रिटेल स्टोर खोलेगी। कंपनी ने लागत कम करने के लिए अपने विज्ञापन के खर्च में भारी कमी की है। पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून के दौरान इसने इसमें 86 प्रतिशत की कमी की है। दूसरी तिमाही में भी इसमें कमी जारी रहेगी।  

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