त्योहारी सीजन में कार कंपनियों ने गाड़ियों पर घटा दिया डिस्काउंट
मुंबई- गाड़ी बनाने वाली कंपनियों ने डिस्काउंट को कम कर दिया है। पिछले तीन सालों में इस साल सबसे कम डिस्काउंट गाड़ियों पर दिया जा रहा है। इसका कारण यह है कि गाड़ियों में लगने वाले कंपोनेंट यानी तमाम कलपुर्जों की कमी हो रही है। इसका असर ग्राहकों की जेब पर भी पड़ रहा है।
जाटो डायनॉमिक्स ने कहा है कि कार पर जो डिस्काउंट आज मिल रहा है, वह पिछले तीन साल में सबसे कम है। चिप की कमी से कंपनियां गाड़ियों का प्रोडक्शन पूरा नहीं कर पा रही हैं। इससे सप्लाई और डिमांड में काफी अंतर हो गया है। ऐसे में कंपनियों ने इसका फायदा उठाते हुए डिस्काउंट को कम कर दिया है। कुछ गाड़ियों पर तो 6-9 महीने की वेटिंग है। ऐसे में कंपनियों को लगता है कि डिस्काउंट देने की जरूरत नहीं है।
जाटो के मुताबिक, 2021 में कुल 88 में से 28 मॉडल पर कोई भी स्कीम या डिस्काउंट नहीं दिया गया। जबकि 2020 में 102 मॉडल में से 21 पर और 2019 में 106 में से 23 मॉडल पर डिस्काउंट और ऑफर्स दिए गए थे। 2019 के बाद से गाड़ियों पर औसत डिस्काउंट लेवल 47 हजार रुपए से घट कर 15 हजार रुपए पर आ गया है। जबकि छोटी कार पर डिस्काउंट 43,600 रुपए से घट कर केवल 13 हजार रुपए हो गया है। एक कार डीलर के मुताबिक, कुछ बाजारों में एंट्री लेवल कार की मांग 2019 की तुलना में 30% कम है।
दरअसल चिप की कमी से ग्राहकों को उनकी मनपसंद कार नहीं मिल रही है। इसलिए ज्यादातर ग्राहक पुरानी कारों को खरीद रहे हैं जो तुरंत मिल जा रही हैं। जाटो के अध्यक्ष रवि भाटिया कहते हैं कि ग्राहकों को उनकी मनपसंद कारें नहीं मिल रही हैं। इसका फायदा कार कंपनियां उठा रही हैं। वे डिस्काउंट को ही कम कर दी हैं। इसका असर यह हुआ कि नवरात्रि में भी गाड़ियों की बिक्री उम्मीदों से काफी कम रही। दीवाली और अन्य त्योहारी सीजन में भी इसका असर कार कंपनियों पर पड़ेगा।
सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति ने बुधवार को रिजल्ट के दौरान कहा कि चिप की कमी से उसने 1.16 लाख कारों का प्रोडक्शन नहीं किया। जबकि 2 लाख कारों की बुकिंग की डिलीवरी अभी भी वो नहीं कर पाई है। हालांकि एंट्री लेवल की जो कारें हैं, उस पर डिस्काउंट तो है, पर ग्राहक अब बड़ी कारें या एसयूवी (स्पोर्टस यूटिलिटी व्हीकल) खरीदने पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। इसका मतलब यह हुआ कि महंगी कारों की ज्यादा मांग है। लेकिन इसमें दिक्कत यह है कि इनकी सप्लाई मांग से काफी कम है। कहा जा रहा है कि चिप की कमी से कारों की इन्वेंटरी घट गई है और मिड साइज की हैचबैक और कांपैक्ट एसयूवी की ओर लोगों का झुकाव बढ़ा है।