फरवरी के स्तर के करीब पहुंचा शेयर बाजार, मार्च के निचले स्तर से 48 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा

मुंबई- भारतीय शेयर बाजार अपने सर्वोच्च स्तर से अब महज 9 प्रतिशत दूर है। यह ऐसे समय में हुआ है, जब कोविड-19 के मामले रोजाना 50 हजार से ज्यादा आ रहे हैं। अनलॉक चरणबद्ध तरीके से है। आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह खुली नहीं हैं। कई सेक्टर अभी भी पूरी तरह से बंद हैं। शेयर बाजार निवेशकों की झोली भरने के साथ ही अब मार्च के स्तर से 48 प्रतिशत बढ़ चुका है।  एनएसई और बीएसई के आंकड़ों से पता चलता है कि एक फरवरी को बीएसई का सेंसेक्स 39,735 अंक पर था। जबकि मंगलवार को यह 38,407 अंक पर बंद हुआ है। हालांकि दिन में यह 38,556 तक चला गया था। इसी साल 20 जनवरी को सेंसेक्स ने 42,273 का सर्वोच्च स्तर हासिल किया था। इस तरह से अगर एक फरवरी के स्तर से देखें तो सेंसेक्स महज 1,100 अंक ही दूर है। सर्वोच्च स्तर से यह 9 प्रतिशत कम है।  

आंकड़े बताते हैं कि 23 मार्च के निचले स्तर से सेंसेक्स ने अब तक 48 प्रतिशत की रिकवरी की है। 25,981 से सेंसेक्स अब 38,500 के करीब है। निवेशकों की संपत्ति में अच्छा खासा इजाफा हुआ है। अगर हम शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैपिटलाइजेशन) की बात करें तो यह एक फरवरी को यह 153 लाख करोड़ रुपए था। मंगलवार को यह 152 लाख करोड़ रुपए था। यानी महज एक लाख करोड़ का अंतर है।  इसी तरह 23 मार्च के स्तर से देखें तो उसी आधार पर इसमें तेजी आई है। 23 मार्च को लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 101 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया था। अब यह 152 लाख करोड़ रुपए है। यानी महज साढ़े चार महीने में निवेशकों की संपत्ति में 51 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। इसमें भी 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।  

आंकडों में देखें तो लिस्टेड कंपनियों के ए ग्रुप का मार्केट कैप अपने पुराने स्तर पर पहुंच गया है। एक फरवरी को ए ग्रुप का मार्केट कैप 142.85 लाख करोड़ रुपए था। जो अब 142.19 लाख करोड़ रुपए है। इसी अवधि में बी ग्रुप की कंपनियों का मार्केट कैप 8.38 लाख करोड़ रुपए और 7.70 लाख करोड़ रुपए रहा है। 23 मार्च को ए ग्रुप का मार्केट कैप 93.64 लाख करोड़ रुपए था जबकि बी ग्रुप का एम कैप 5.66 लाख करोड़ रुपए था। इस तरह ए ग्रुप के शेयरों के एम कैप में मार्च से लेकर अब तक 49 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है।  

अगर कंपनियों की बात करें तो रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस, इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक और हिंदुस्तान यूनिलीवर ए ग्रुप में टॉप 10 कंपनियों में शामिल हैं। इनके शेयरों के साथ इनके मार्केट कैपिटलाइजेशन में भी अच्छी वृद्धि हुई है। आरआईएल को छोड़ दिया जाए तो बाकी चार कंपनियों के शेयरों की कीमतों में कोई खास वृद्धि फरवरी से नहीं हुई है। पर मार्केट कैपिटलाइजेशन जरूर बढ़ा है। आरआईएल के शेयरों ने 50 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न इस दौरान दिया है।  

सेक्टर की बात करें तो फार्मा सबसे बेहतरीन सेक्टर रहा है। इस सेक्टर ने निवेशकों को 95 कारोबारी सत्रों में 80 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। यह सेक्टर 19,720 अंक पर सोमवार को बंद हुआ था। 23 मार्च को यह 10,948 अंक पर था। यह सेक्टर इसलिए इतना अच्छा प्रदर्शन किया है क्योंकि कोरोना में इसी सेक्टर की सबसे ज्यादा मांग रही है। इस सेक्टर के कुछ शेयरों ने 5 गुना रिटर्न दिया तो कुछ ने दोगुना रिटर्न दिया है। अगस्त में अब तक 20 फार्मा कंपनियों के शेयर नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। कोरोना ने इस सेक्टर को जीवन दान दे दिया है। यह सेक्टर पिछले पांच सालों से पिटा हुआ था।  

विश्लेषकों का मानना है कि बाजार की तेजी पर कोविड का जो प्रभाव या असर था, वह अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। यही कारण है कि बाजार अब आगे जा रहा है। जैसे ही अगले कुछ समय में अनलॉक में ज्यादा ढील दी जाएगी, और अर्थव्यवस्था में कोई सुधार दिखेगा, सेंसेक्स अपना सर्वोच्च स्तर हासिल कर लेगा। यह उम्मीद है कि सितंबर तक सेंसेक्स 42,000 तक जा सकता है।  

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