अब टीपीए नहीं ले सकता है हेल्थ क्लेम के पेमेंट का फैसला, केवल दावों के प्रोसेसिंग का ही इसका काम होगा

मुंबई- बीमा नियामक इरडाई (आईआरडीएआई) ने थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन (टीपीए) को बीमा कंपनियों की ओर से स्वास्थ्य दावों के पेमेंट के फैसले नहीं लेने का निर्देश दिया है। इसका मतलब यह है कि अनिवार्य रूप से एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारक और जनरल बीमा कंपनी के बीच टीपीए को केवल दावों के प्रोसेसिंग के साथ शामिल किया जाएगा। 

कोरोना से हेल्थ इंश्योरेंस के दावों में वृद्धि  

जब भी कोई पॉलिसीधारक हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम फाइल करता है तो टीपीए से संपर्क करना पड़ता है। टीपीए एक बाहरी बिचौलिया होता है जो ग्राहकों के दावों को मदद करने के लिए कई जनरल बीमा कंपनियों के साथ काम करता है। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते स्वास्थ्य बीमा दावों में वृद्धि हुई है। इससे पेमेंट में देरी की शिकायतें आईं हैं। इसने जनरल बीमा कंपनियों को इंटरनल टीमों की स्थापना कर जल्दी पेमेंट सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया है। 

इन कंपनियों के पास इन हाउस क्लेम प्रोसेसिंग टीमें हैं 

हालांकि एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस, बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, मैक्स बूपा और लिबर्टी जनरल इंश्योरेंस उन बीमाकर्ताओं में से हैं जिनके पास इन-हाउस क्लेम प्रोसेसिंग टीमें हैं। बीमा कंपनियों का कहना है कि टीपीए से यह सुनिश्चित करना था कि जब क्लेम की संख्या बढ़ जाए, तो प्रोसेसिंग के लिए बाहरी पार्टी को प्रबंधित किया जा सकता है। उद्योग सूत्रों ने कहा कि दावों के निपटान की समय सीमा में वृद्धि के कारण इन-हाउस टीम पर अधिक भार आया है। इसके पीछे आईडिया यह है कि धीरे धीरे टीपीए पर निर्भरता को कम करने और इन हाउस टीमों का निर्माण कर हेल्थ क्लेम निपटाया जाए। 

इन हाउस टीम जल्दी क्लेम सेटलमेंट करेगी 

पॉलिसीधारक को स्वास्थ्य बीमा दावा करने के लिए टीपीए से संपर्क करना पड़ता है। टीपीए का ब्यौरा ग्राहक को दिए गए पॉलिसी दस्तावेजों में बताया जाता है। अस्पताल में भर्ती होने या सेटलमेंट के मामले में टीपीए को पहले सूचित करना होता है। इसके बाद टीपीए क्लेम की जानकारी बीमा कंपनी को देता है। इस प्रक्रिया में समय लगता है। क्योंकि यह एक बाहरी कंपनी है जो तमाम बीमा कंपनियों के हजारों दावों का काम करती हैं। इसकी तुलना में, एक इन-हाउस टीम दावे की जानकारी तुरंत पास करने और क्लेम सेटलमेंट प्रक्रिया में तेजी लाने में ज्यादा सक्षम है। 

कागज गायब होने की भी दिक्कतें आती हैं  

एक बार टीपीए में क्लेम करने के बाद, पॉलिसीधारक को मेडिकल बिल, अस्पताल डिस्चार्ज सर्टिफिकेट और बिल, फार्मेसी रसीद, एक्स-रे रिपोर्ट (यदि कोई हो) के साथ-साथ डॉक्टर के नुस्खे (prescriptions) सहित कई कागज जमा करने होते हैं। कई बार अगर एक या दो दस्तावेज गायब हो जाते हैं तो बाहरी टीपीए को पहले बीमा कंपनी से संपर्क कर यह जांचना होता है कि उक्त दस्तावेज के बिना क्लेम होगा या नहीं। इसकी तुलना में, एक इन-हाउस टीम का टर्नअराउंड समय जल्दी होता है। यह सुनिश्चित करता है कि दावे निपटान के लिए दस्तावेज समय पर पेश किए जाएं। 

टीपीए आपके क्लेम को नहीं रोक सकता है  

ग्राहकों के बीच एक गलत धारणा है कि टीपीए किसी दावे को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है। हालांकि, बीमा नियामक के नियमों में कहा गया है कि टीपीए केवल दावे के प्रोसेसिंग में शामिल है और उसे कोई निर्णय लेने की अनुमति नहीं है। इसलिए, एक बार जब पॉलिसीधारक किसी बाहरी टीपीए को सभी क्लेम दे देता है तो टीपीए को बीमा कंपनियों के क्लेम विभाग से संपर्क करना होता है ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि अप्रूवल मिला है या नहीं। 

टीपीए से कम समय में बीमा कंपनियां क्लेम देंगी 

क्लेम और क्लेम के प्रकार के आधार पर इसमें लगभग 7-10 दिन लग सकते हैं। इसकी तुलना में, एक इन-हाउस टीम एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेने में सक्षम होगी। स्वास्थ्य बीमा दावे का साइज जो भी हो, केवल बीमा कंपनी यह तय कर सकती है कि दावे का कौन सा हिस्से के क्लेम को देना है या नहीं देना है। उदाहरण के लिए, दस्ताने, पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर और कॉटन जैसी वस्तुएं, जो एक बार उपयोग के लिए प्रदान की जाती हैं उन्हें आमतौर पर स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों द्वारा कवर नहीं की जाती हैं। 

क्लेम में कई आइटम्स शामिल नहीं होते हैं 

इसी प्रकार अस्पताल में किए गए किसी भी व्यक्तिगत खर्च जिसमें टेलीफोन/इंटरनेट या विशेष भोजन आदि भी क्लेम के दायरे में नहीं हैं। इसका मतलब यह है कि अगर इन आइटम्स को क्लेम में शामिल किया जाता है तो बीमा कंपनी इसका पैसा नहीं देगी। 

टीपीए से बेहतर इन हाउस टीम समझती है 

एक इन-हाउस प्रोसेसिंग टीम स्पष्ट रूप से यह समझाने में सक्षम है कि स्वास्थ्य बीमा के तहत कौन से खर्च दिे जाएंगे और कौन से खर्च नहीं दिए जाएंगे। इसकी वजह यह है कि वे इंटरनल कंपनी एक्सपर्ट हैं। कभी-कभी पॉलिसी की शर्तों के तहत कवर किए गए खर्च को अनजाने में बाहर रखा जा सकता है। ऐसे मामलों में, एक इन-हाउस टीम दिक्कतों को जल्दी हल करने में सक्षम साबित होती है। इसकी तुलना में टीपीए को पहले बीमा कंपनी से जांच करनी होती है कि किसी खास क्लेम कंपोनेंट को फाइनल सेटलमेंट से क्यों बाहर रखा गया है। ग्राहक अक्सर शिकायत करते हैं कि उनके किसी खास क्लेम को बाहर क्यों किया गया। 

देश में कोविड-19 के 22 लाख मामले हैं। वर्तमान में 6 लाख से अधिक एक्टिव मामले हैं। इन-हाउस क्लेम प्रोसेसिंग टीम के माध्यम से स्वास्थ्य बीमा दावों को निपटाना ग्राहकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। हालांकि बीमा इंडस्ट्री के लिए टीपीए को तत्काल बाहर निकालना संभव नहीं है। उद्योग के सूत्रों का मानना है इन हाउस टीमों को पहले मजबूत करने के बाद ही टीपीए को बाहर किया जा सकता है।  

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