बीमा कंपनियों की तुलना में म्यूचुअल फंड और ब्रोकरेज फर्म ने जून तिमाही में की अच्छी कमाई
मुंबई: वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का माहौल रहा। इस वजह से शेयर बाजार में निवेश करनेवालों की मिली-जुली आय रही है। हालांकि इस दौरान ब्रोकरेज फर्म और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) ने बीमा कंपनियों की तुलना में बेहतर कमाई की है। वैसे तो जून तिमाही म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए भी चुनौतीपूर्ण थी। क्योंकि इक्विटी के निवेश में गिरावट आई। शेयर बाजारों में गिरावट और अस्थिरता के कारण एसआईपी का निवेश भी कम हो गया।
एएमसी के बिजनेस की आय में गिरावट की भरपाई पहली तिमाही के मार्क टू मार्केट गेन से हो गई। हालांकि बीमा कंपनियों के लिए अप्रैल-जून में ग्रोथ कम रही है। मार्च में रिटेल निवेशक बड़े पैमाने पर शेयर बाजारों का लाभ लेने के लिए बाजार में प्रवेश किए। रिटेल पार्टिसिपेशन में वृद्धि के बीच वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में ब्रोकिंग कंपनियों की आय में अच्छी वृद्धि हुई।
उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने जून में समाप्त तिमाही में टैक्स से पहले लाभ में 47 प्रतिशत की वृद्धि की। इसका लाभ 260 करोड़ तक पहुंच गया। ब्रोकरेज कारोबार में मजबूत वृद्धि इनवेस्टमेंट बैंकिंग और रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन के कारण हुई। इक्विटी कारोबार में आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के दैनिक आधार पर कारोबार करने वाले ग्राहकों की संख्या में 90% की वृद्धि रही है। इसी तरह मोतीलाल ओसवाल फिनांसियल सर्विसेज ने भी अच्छी कमाई की। हालांकि इसके म्यूचुअल फंड के एयूएम में इसी दौरान 16.2 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। इसके ब्रोकिंग रेवेन्यू में 81.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। चुनौतीपूर्ण माहौल के बावजूद एएमसी कारोबार दम खम दिखा रहा है।
विश्लेषकों के मुताबिक ब्रोकिंग बिजनेस को वित्त वर्ष 2021 के अनुमानित रूप से अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है क्योंकि वोल्यूम में मजबूती दिख रही है। निप्पॉन लाइफ इंडिया असेट मैनेजमेंट की एसआईपी बुक में वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में 700 करोड़ रुपए की गिरावट देखी गई है। वित्त वष4 2020 की पहली तिमाही में 810 करोड़ रुपए की एसआईपी बुक साइज थी। हालांकि एसआईपी खातों की संख्या 32 लाख से बढ़कर 34 लाख हो गई। जनरल इंश्योरर्स ने कम वाहन बिक्री के बावजूद अच्छा कारोबार किया। इसके परिणामस्वरूप काफी कम प्रीमियम कलेक्ट हुआ और रिनीवल भी प्रभावित हुआ। हालांकि, लॉकडाउन के प्रतिबंधों के कारण कम दुर्घटनाएं घटी जिससे क्लेम्स कम हुए और जनरल इंश्योरर्स की इससे काफी मदद हुई।

