अब आप अपने किसी भी कर्ज का समय बढ़ा सकते हैं, आरबीआई ने दी लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा

मुंबई– भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक नया सर्कुलर निकाला है। इसके मुताबिक आप किसी भी तरह के कर्ज लिए हों आप इसका रिस्ट्रक्चरिंग करा सकते हैं। बैंक आपका यह काम कर के देगा। इसके तहत आप अपने कर्ज की समय सीमा, ब्याज दर और अन्य मामलों पर बैंक से बात कर सकते हैं। आइए देखते हैं यह आपके लिए कितना सही है।  

रिस्ट्रक्चरिंग का मतलब क्या है?  

रिस्ट्रक्चरिंग का मतलब पुनर्गठन है। यानी आपने कोई कर्ज लिया है। इसकी समय सीमा 3 साल है। ब्याज 8 प्रतिशत है। आपने पिछले कुछ महीनों से ईएमआई नहीं भरी है तो आपको रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा मिलेगी। हालांकि यह बैंक के ऊपर है कि वह किस तरह आपको छूट देगा या नहीं देगा।  

अभी कोरोना की वजह से आर्थिक गतिविधियां ठप हैं। सबकी कमाई या सैलरी पर असर हुआ है। अगर आप भी इसमें हैं आपकी सैलरी पर असर हुआ है या बिजनेस से कमाई नहीं हो रही है तो आप इसे चुन सकते हैं। आप अपने बैंक के पास जाइए और बैंक से कहिए कि आपको लोन रिस्ट्रक्चरिंग करना है। आपको वह पूरी प्रक्रिया बता देगा।  

रिस्ट्रक्चरिंग में क्या-क्या हो सकता है? 

रिस्ट्रक्चरिंग उस ग्राहक के लोन की होगी जिसने पिछले कुछ समय से किश्तों का भुगतान नहीं किया है। जो ग्राहक रेगुलर ईएमआई दे रहे हैं, वे इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पाएंगे। रिस्ट्रक्चरिंग के तहत मान लीजिए आपकी ईएमआई 10 हजार महीने की है। आपने 4 महीने नहीं भरा है। और आपका लोन का समय 5 साल बाकी है। तो बैंक आपकी यह 4 महीने की ईएमआई उसी 5 साल में बांट देगा। यही नहीं, आप चाहते हैं कि आपकी ईएमआई की राशि कम हो जाए तो आप बैंक से अपने कर्ज भरने की समय सीमा बढ़वा सकते हैं। इससे आपको यह फायदा होगा कि आपकी ईएमआई मासिक कम हो जाएगी। 

क्या मूलधन और ब्याज में छूट मिलेगी? 

नहीं, ऐसा नहीं होता है। किसी भी रिस्ट्रक्चरिंग के तहत आप बस समय सीमा ज्यादा ले सकते हैं। यह इसीलिए कि आप पर भारी- भरकम ईएमआई का बोझ कम हो जाए और आप लंबे समय तक कम किश्त भरें। अभी तक बैंकों में कॉर्पोरेट के लोन ही रिस्ट्रक्चरिंग होते थे। अब आरबीआई के नए नियम के मुताबिक आप कार लोन, होम लोन, पर्सनल लोन या किसी भी तरह के कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग करा सकते हैं। लेकिन आप यह तभी कराइए जब आपको कोई आर्थिक दिक्कत हो।

रिस्ट्रक्चरिंग कराने से क्या घाटा भी होता है?  

रिस्ट्रक्चरिंग बिलकुल घाटे का सौदा है। यह सिर्फ तभी कराना चाहिए जब आपकी आर्थिक दिक्कतें बढ़ गई हों। घाटा इस तरह से है कि आप जितना ज्यादा कर्ज की समय सीमा बढ़ाएंगे उतना ज्यादा आपको ब्याज देना होगा। भले ही आपकी मासिक ईएमआई कम हो लेकिन लंबी अवधि में वह एक बहुत बड़ी राशि हो जाती है जो आप ब्याज के रूप में बैंक को देते हैं।  

क्या रिस्ट्रक्चरिंग मेरा अधिकार है  

नहीं ऐसा नहीं है। रिस्ट्रक्चरिंग बैंक की मर्जी है। रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा आपको तभी मिलेगी जब आपका रिकॉर्ड सही होगा। आपका लोन एनपीए नहीं होगा। आप डिफॉल्ट नहीं होंगे। आरबीआई ने कहा कि उसने वन टाइम विंडो शुरू की है। आप बैंक से रीपेमेंट का एक नया टर्म पूछ सकते हैं। आपको अतिरिक्त क्रेडिट की सुविधा मिल जाएगी। इसके लिए आपको एक मार्च 2020 तक किसी भी लोन में डिफॉल्ट नहीं होना चाहिए।  

यह मोराटोरियम से कितना अलग है?  

यह एक तरह से मोराटोरियम जैसी ही सुविधा है। लेकिन मोराटोरियम में आपको 3 महीने की दो बार सुविधा दी गई थी। यानी आपको 6 महीने की पूरी ईएमआई 6 महीने में ही देनी थी। आप चाहें तो दो महीने की साथ में दे सकते हैं। लेकिन रिस्ट्रक्चरिंग में ऐसा नहीं है। यहां आप अपनी समय सीमा को बढ़वा सकते हैं और वह लंबे समय तक बढ़ सकती है। आपकी ईएमआई पूरे साल के लिए एक समान बंट जाएगी। रिस्ट्रक्चरिंग से यह फायदा है कि आपका लोन एनपीए नहीं होगा। आपकी क्रेडिबिलिटी सही रहेगी। बैंक आपसे वसूली नहीं करेगा।  

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