एलआईसी में आईपीओ से पहले विदेशी डायरेक्ट निवेश को मिल सकती है मंजूरी
मुंबई- एलआईसी के आईपीओ से पहले सरकार इसमें फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (FDI) की अनुमति दे सकती है। इससे सिंगल फॉरेन इनवेस्टर को कंपनी में एक बड़ी हिस्सेदारी खरीदने का मौका मिल सकता है। LIC का इस फाइनेंशियल ईयर में IPO लाने की तैयारी है।
हालांकि, कंपनी में किसी स्ट्रैटेजिक इनवेस्टमेंट की एक लिमिट होगी। यह स्पष्ट नहीं है कि यह लिमिट कितनी रखी जाएगी। LIC में FDI की अनुमति मिलने से पेंशन फंड्स या इंश्योरेंस कंपनियों जैसे बड़े इनवेस्टर्स कंपनी के पब्लिक ऑफर में हिस्सा ले सकेंगे। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से तय की गई FDI की परिभाषा के तहत विदेशी निवेशक की ओर से 10 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी खरीदने को FDI माना जाता है।
हालांकि सरकार को इसके लिए कानून में बदलाव करना होगा। भारत में बीमा कंपनियों में 74 पर्सेंट विदेशी निवेश को मंजूरी मिली है। पर चूंकि एलआईसी स्पेशल एक्ट के तहत बनी है, इसलिए इसमें यह नियम लागू नहीं होता है। कंपनी के IPO को मैनेज करने की दौड़ में शामिल बैंकर्स की ओर से गुरुवार को सरकार को प्रेजेंटेशन दिया जाना है।
LIC में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इस फाइनेंशियल ईयर के लिए सरकार के डिसइनवेस्टमेंट के लक्ष्य को पूरा करने के लिहाज से कंपनी में हिस्सेदारी की बिक्री महत्वपूर्ण है। कंपनी की लिस्टिंग पर वैल्यू 261 अरब डॉलर तक हो सकती है। इसमें FDI को लेकर विचार विमर्श शुरुआती दौर में है और इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है।