अडाणी विल्मर के आईपीओ में हो सकती है देरी, जांच की वजह से सेबी रोक सकती है
मुंबई- अडाणी विल्मर के आईपीओ में देरी हो सकती है। खबर है कि अडाणी ग्रुप की तीन कंपनियों में विदेशी निवेशकों की जांच से इसके आईपीओ में देरी हो सकती है। सेबी यह फैसला कर सकती है। कंपनी IPO के जरिए 4,500 करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी में थी।
अडाणी ग्रुप की 6 लिस्टेड कंपनियों में से पांच का मार्केट कैपिटलाइजेशन एक लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। अडाणी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों में अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकॉनॉमिक जोन, अडाणी ट्रांसमिशन, अडाणी पावर, अडाणी टोटल गैस और अडाणी ग्रीन एनर्जी शामिल हैं।
सेबी के नियम के मुताबिक IPO के लिए आवेदन करने वाली कंपनी की किसी डिपार्टमेंट में जांच चल रही हो तो उसके IPO को 90 दिन तक मंजूरी नहीं दी जा सकती है। इसके बाद भी IPO को 45 दिन के लिए टाला जा सकता है। जून 2021 में भी सेबी ने लो-कॉस्ट एयरलाइन गोफर्स्ट के IPO पर भी रोक लगा दी थी, क्योंकि उसके प्रमोटर के खिलाफ जांच चल रही थी।
अडाणी विल्मर, अडाणी एंटरप्राइजेज और सिंगापुर की कंपनी विल्मर इंटरनेशनल का जॉइंट वेंचर है, जो कि 1999 में बना था। अडाणी विल्मर में अडाणी एंटरप्राइजेज की 50% हिस्सेदारी है। कंपनी एडिबल ऑयल बनाने का कारोबार करती है। इसके आलावा कंपनी बासमती चावल, आटा, मैदा, सूजी, रवा, दालें और बेसन जैसे आइटम भी बनाती और बेचती है।
अडाणी के ज्यादातर प्रोडक्ट्स फॉर्च्यून ब्रांड नाम से आते हैं। अडाणी विल्मर की योजना 2027 तक देश की सबसे बड़ी फूड कंपनी बनाने का लक्ष्य है। माना जा रहा है कि IPO के जरिए कंपनी अपने लक्ष्य को पूरा करेगी।