महंगे होने के बावजूद अगले साल शेयर बाजार से मिल सकता है अच्छा मुनाफा
मुंबई- भारतीय शेयर बाजार का 63 फीसदी हिस्सा महंगे मूल्य पर कारोबार कर रहा है। इसके बावजूद 2026 में सक्रिय निवेशकों के लिए अच्छे मुनाफे के मौके हैं। निवेशकों के पास कई अवसर होंगे, जहां वे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। ओमनीसाइंस कैपिटल की रिपोर्ट के मुताबिक, निफ्टी-500 का प्राइस-टू-अर्निंग्स (पीई) रेशियो 24 गुना से ज्यादा है, जो महंगा लगता है। लेकिन 36 बड़ी कंपनियों और 46 मिडकैप कंपनियों का मूल्य कम है। इसका मतलब है कि इन स्टॉक्स में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि निफ्टी-500 के 66 फीसदी स्टॉक्स महंगे हैं, लेकिन मूल्यांकन का दबाव स्मॉलकैप शेयरों पर ज्यादा दिखता है। 150 स्मॉलकैप कंपनियों में से 89 कंपनियों के शेयर के भाव कम हैं। 100 बड़ी कंपनियों में से 63 कंपनियों के शेयर भी सही कीमत पर या सस्ते हैं। इससे साफ है कि सक्रिय निवेशक इन कंपनियों में निवेश कर सकते हैं और अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं।
सेक्टरवार विश्लेषण से पता चला कि फाइनेंशियल्स, यूटिलिटीज और इंडस्ट्रियल्स जैसे सेक्टरों में कंपनियों के शेयर का मूल्य सही है या कम कीमत पर है। इनमें क्रमशः लगभग 70, 18 और 83 कंपनियां शामिल हैं। भारतीय बाजार में सक्रिय निवेशकों के लिए अच्छा मुनाफा बनाने के कई मौके हैं, चाहे वह सेक्टर आधारित हो या फिर बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) के हिसाब से।
हेल्थकेयर और आईटी में बरतें सतर्कता
रिपोर्ट में कंज्यूमर स्टेपल्स, हेल्थकेयर और आईटी जैसे सेक्टरों में निवेश करते समय सतर्क रहने की सलाह दी गई है। इन सेक्टरों में महंगे मूल्यांकन हैं और कम वृद्धि का अनुमान है। यह इस बात का संकेत है कि इन सेक्टरों में निवेश करना उतना फायदेमंद नहीं हो सकता। फिर भी, इन तीनों सेक्टरों में 60 से ज्यादा कंपनियां ऐसी हैं जिनका मूल्य सही या कम है।
…तो 22 फीसदी तक मिलेगा रिटर्न
रिपोर्ट के अनुसार, अगर कंपनियों की कमाई में 15 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी होती है, तो पैसिव निवेशक को एक अंक या कम रिटर्न मिल सकता है। लेकिन जो सक्रिय निवेशक गलत मूल्य वाले स्टॉक्स में निवेश करेंगे, उन्हें 18 से 22 फीसदी तक रिटर्न मिल सकता है। आर्थिक मोर्चे पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की स्थिति मजबूत बनी हुई है। भारत में कुल संपत्तियों की तुलना में जीडीपी का अनुपात संतुलित है, जिससे केंद्रीय बैंक के पास नीतियां बनाने और उन्हें लागू करने की पर्याप्त गुंजाइश बनी रहती है।

