टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी मेहली मिस्त्री की दोबारा नियुक्ति को रोक सकते हैं नोएल टाटा

मुंबई: टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी मेहली मिस्त्री का रिअपॉइंटमेंट रुक सकता है। चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह इसे मंजूरी देने से मना कर सकते हैं। मेहली मिस्त्री का कार्यकाल 28 अक्टूबर को खत्म हो रहा है।  टाटा ट्रस्ट्स में सर रतन टाटा ट्रस्ट समेत कुछ और ट्रस्ट्स है। मिस्त्री 2022 से सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) और सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) के ट्रस्टी हैं। इन दोनों ट्रस्ट की टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में51% हिस्सा है। उनका कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव शुक्रवार को टाटा ट्रस्ट्स के सीईओ सिद्धार्थ शर्मा ने रखा था।

डेरियस खंबाटा, प्रमित झावेरी और जहांगीर एचसी जहांगीर जैसे ट्रस्टी इसकी सहमति दे चुके हैं। वहीं नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने कानूनी राय मांगी है। अंदरूनी लोग कहते हैं कि इससे कानूनी लड़ाई छिड़ सकती है। टाटा ट्रस्ट्स में फैसले हमेशा सहमति से होते आए हैं, लेकिन रतन टाटा के निधन के बाद ये परंपरा टूटने लगी है।

रतन टाटा के निधन के करीब एक साल बाद, ट्रस्टीज ने बहुमत से पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड से हटा दिया था। ये फैसला इतना बड़ा था कि पूरे देश का ध्यान टाटा ट्रस्ट्स के अंदरूनी कलह पर चला गया। सरकार को भी बीच में आना पड़ा।

मतभेद होने पर ट्रस्टी की बहाली बहुमत से हो सकती है या एकमत फैसला जरूरी है, इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा गया। ये ट्रस्ट्स के लिए बिल्कुल नया है, क्योंकि रतन टाटा ने जब ग्रुप की कमान संभाली तो आखिरी कुछ दशकों में ट्रस्ट के फैसले कभी वोटिंग तक नहीं पहुंचे थे।

1932 में लिखी गई सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की ट्रस्ट डीड कहती है कि मीटिंग को कानूनी तौर पर मान्य तभी माना जाएगा जब कम से कम तीन ट्रस्टीज मौजूद हो। वहीं मीटिंग में अगर वोटिंग हो तो मौजूद ट्रस्टीज में से ज्यादातर जो फैसला लें, वो सबको मानना होगा। एक और रेजोल्यूशन भी है जो इस मामले में अहम है। रतन टाटा के निधन के ठीक नौ दिन बाद, 17 अक्टूबर को ट्रस्टीज की मीटिंग हुई थी। इसमें फैसला लिया गया कि हर ट्रस्टी का टर्म खत्म होने पर उसकी बहाली बिना किसी टर्म की सीमा लगाए की जाएगी।

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