निष्क्रिय जनधन खातों को बंद करने की तैयारी में सरकार, यह है इसका कारण

मुंबई- सरकार निष्क्रिय जनधन खातों को बंद करने की तैयारी कर रही है ताकि इन खातों का दुरुपयोग न होने पाए। सरकारी बैंकों को ऐसा निर्देश दिया गया है कि अगर लाभार्थी अपने जनधन खाते को सक्रिय नहीं रखना चाहते हैं तो उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए क्योंकि लोगों को ठगने के लिए म्यूल खातों के रूप में इनका इस्तेमाल हो रहा है।

अगर उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है तो उन्हें खुला रखने पर जोर न देने का निर्देश मिला है क्योंकि उनका दुरुपयोग किया जा सकता है। ऐसा कहा जा रहा है कि बैंक निष्क्रिय खातों को नए सिरे से सक्रिय करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए री-केवाईसी प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं। अगर लाभार्थी खातों को सक्रिय रखने के इच्छुक नहीं हैं, तो खाते बंद किए जा रहे हैं। किसी बैंक खाते को निष्क्रिय तब माना जाता है जब लगातार 24 महीने की अवधि में कोई लेनदेन न हो।

एक सरकारी बैंक के एक वरिष्ठ बैंकर के अनुसार, अधिकतर निष्क्रिय जनधन खाते ग्रामीण इलाकों से हैं। उन्होंने कहा, ‘सभी बैंक इस समस्या से निपटने और खातों को चालू करने के लिए री-केवाईसी की कोशिश कर रहे हैं। अगर ग्राहक अपने खाते का उपयोग नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें बंद भी किया जा रहा है।’

धोखाधड़ी करने के लिए जनधन खातों का म्यूल खातों के रूप में हो रहे दुरुपयोग के मद्देनजर चिंताएं बढ़ गई हैं। हाल के वर्षों में ऐसी घटनाएं काफी बढ़ गई हैं और भारतीय रिजर्व बैंक को इन खातों का पता लगाने के लिए म्यूल हंटर नाम से एक पहल करनी पड़ी है।

बैंक ऑफ इंडिया के एमडी एवं सीईओ रजनीश कर्नाटक ने हाल में एक कार्यक्रम में कहा, ‘हमने पाया है कि कुछ जनधन खातों का इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी के लिए म्यूल खातों के रूप में किया जा रहा है। हम इससे भलीभांति अवगत हैं। आरबीआई ने म्यूल हंटर लॉन्च किया है जो बैंकों के भीतर ऐसे खातों का पता लगाने में मदद करता है। अकेले बैंक ऑफ इंडिया में पिछले छह महीनों के दौरान जमाकर्ताओं के 147 करोड़ रुपये प्रभावित हुए हैं।’

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