फ्रेशर्स की दिक्कत, फाइनल ऑफर देने के बाद भी कंपनियां नहीं दे रहीं नौकरी

मुंबई- नए स्नातकों यानी फ्रेशर्स को नौकरी पाने के लिए कठिन संघर्ष से गुजरना पड़ रहा है। हालात यह है कि कंपनियां फाइनल ऑफर देने के बाद भी रोजगार नहीं दे रही हैं। कुछ ने तो उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट कर लिया, फिर भी ऑफर लेटर नहीं दिया। कई ने फाइनल ऑफर देने के बाद भी नौकरी देने से मना कर दिया।

कुछ शीर्ष कॉलेजों में नए स्नातकों को अब तक के सबसे कठिन प्लेसमेंट वर्षों में से एक का सामना करना पड़ रहा है। कॉलेज सूत्रों और शीर्ष कंपनी अधिकारियों के अनुसार, प्रमुख संगठनों द्वारा प्रवेश में आधे से अधिक की गिरावट आई है। देशों के बीच तनाव और उथल-पुथल के साथ आर्थिक चुनौतियों के बीच लोगों की कम जरूरत के कारण भारतीय कंपनियां नए लोगों की नियुक्ति को लेकर सतर्क हो गई हैं।

करीब आधा दर्जन अंडरग्रेजुएट संस्थानों के अधिकारियों के मुताबिक, कई उम्मीदवार अपने फाइनल इंटरव्यू का इंतजार कर रहे हैं। कुछ उम्मीदवारों को कई चरण के इंटरव्यू के बाद भी अधर में लटकाए रखा गया है।

मुंबई के प्रमुख सेंट जेवियर्स, जय हिंद, फादर एग्नेल और सेंट फ्रांसिस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे कॉलेजों में प्लेसमेंट प्रतिशत में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट आई है। अग्रणी यूजी कॉलेजों में से एक सेंट जेवियर्स में इस वर्ष प्लेसमेंट संख्या पिछले वर्षों की तुलना में कम रही। हालांकि कैंपस साक्षात्कार के लिए दोगुनी संख्या में कंपनियां आईं।

सेंट जेवियर्स कॉलेज में प्लेसमेंट के लिए इस साल करीब 89 कंपनियां आईं। पिछले साल 40-42 कंपनियां आईं थीं। इनमें कई मध्यम कंपनियां और स्टार्टअप पहली बार आए। बड़ी कंपनियों की भर्ती की संख्या पिछले साल की तुलना में 50-70 फीसदी रही। शीर्ष भर्तीकर्ताओं में एसेंचर, आईडीएफसी, हिंदुस्तान यूनिलीवर, ईवाई, आईसीआईसीआई, एचएसबीसी और डेलॉय शामिल थीं।

कंपनियों का कहना है कि मंदी के रुझानों, एआई संचालित व्यवधानों और छात्रों के बीच तैयारी में कमी से भर्तियां कम हो रही हैं। कंपनियां कम से कम 2-3 साल के अनुभव वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता देती हैं। ये नए स्नातकों को जोखिम भरा मानती हैं, क्योंकि वे आगे की पढ़ाई के लिए जल्दी ही कंपनी छोड़ देते हैं।

कई कंपनियों का मानना है कि फ्रेशर्स को जो वेतन दिया जाता है, उसके मुताबिक परिणाम नहीं मिलता है। अगर हम 6-9 लाख रुपये सालाना दे रहे हैं तो उसका परिणाम हमें मिलना चाहिए। कुछ कॉलेजों में अब तक बैच के 15-30 फीसदी छात्रों को प्लेसमेंट मिल चुका है। अन्य कॉलेजों में यह आंकड़ा 5 फीसदी या उससे भी कम है। मौजूदा बैच के लिए प्लेसमेंट पिछले अगस्त में शुरू हुआ था और इस जून तक चलेगा।

कंसल्टेंसी, ब्रोकरेज, आईटी और मैन्युफैक्चरिंग कभी सबसे अधिक भर्ती करने वाले क्षेत्र थे। इन्होंने अब या तो नवंबर के आसपास जॉइनिंग की तारीखें टाल दी हैं या नए लोगों की भर्ती में भारी कटौती की है। कुछ छोटी और मध्यम आकार की कंपनियां 1.5 से 3 वर्ष के अनिवार्य सेवा बॉण्ड की मांग कर रही हैं। मध्यम आकार की कंपनियां सालाना 5 लाख तक और बड़ी कंपनियां 10 लाख तक वेतन का ऑफर दे रही हैं।

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