अप्रैल, 2021के बाद निफ्टी की सबसे बड़ी तेजी, 14 लाख करोड़ बढ़ गई निवेशकों की संपत्ति

मुंबई- भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर (India-Pakistan Ceasefire) का भारतीय शेयर बाजार ने जोरदार स्वागत किया है। शेयर बाजार में आज जबरदस्त तेजी देखने को मिल रही है। बाजार खुलते ही सेंसेक्स-निफ्टी में रिकवरी की रफ्तार तेज हो गई। शुरुआती कारोबार में शेयर बाजार के दोनों बेंचमार्क इंडेक्स करीब 3 फीसदी उछले है। निफ्टी अप्रैल, 2021के बाद सबसे ज्यादा तेजी के साथ 24,850 के पार पहुंच गया है। इससे निवेशकों की संपत्ति 14 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई है।

सुबह 10 बजे सेंसेक्स 2,366.19 अंक (2.98%) की शानदार तेजी के साथ 81,820.66 के लेवल पर जा पहुंचा. वहीं, निफ्टी में भी तेजी जारी रही और यह 719.80 अंक (3.00%) की बढ़त के साथ 24,727.80 के लेवल पर ट्रेड कर रहा था.आज बाजार में यह तेजी भारत-पाक तनाव कम होने के साथ ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत देश की सैन्य और रणनीतिक क्षमता के एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन के कारण देखी गई.

शेयर बाजार में आज यानी सोमवार 12 मई की सुबह धमाकेदार शुरुआत हुई है. Sensex प्री-ओपनिंग में 1349 अंक की बढ़त के साथ खुला तो वहीं Nifty में भी 412 अंकों का उछाल देखने को मिला. ये तेजी भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार शाम को हुए सीजफायर समझौते के बाद आई है. ये खबर निवेशकों के लिए राहत लेकर आई और बाजार ने पॉजिटिव रुख दिखाया.

बीते हफ्ते भारत-पाक सीमा पर तनाव और ड्रोन हमलों की खबरों से बाजार पर दबाव था. शुक्रवार को सेंसेक्स में 880 अंक और निफ्टी में 265 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी. साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स में कुल मिलाकर 1047 अंक की गिरावट हुई, जबकि निफ्टी में 338 अंक का नुकसान दर्ज किया गया. इस गिरावट की एक बड़ी वजह सीमा पर तनाव था.

विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी एफआईआई के वापस लौटने से भारतीय शेयर बाजार में अप्रैल से लेकर अब 4.57 फीसदी की तेजी आई है। इस दौरान इन निवेशकों ने हमारे बाजार में कुल 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किया है। इसमें से अप्रैल में 4,223 करोड़ और मई में अब तक 14,167 करोड़ का निवेश किया है।

दरअसल, सितंबर के बाद से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकालकर दूसरे सस्ते मूल्यांकन वाले बाजार में लगा रहे थे। इससे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्स में जबरदस्त गिरावट आनी शुरू हो गई थी। 26 सितंबर, 2024 को सेंसेक्स शीर्ष स्तर 85,836 पर बंद हुआ था। लेकिन उसके बाद यह इस साल चार मार्च को 72,989 के स्तर तक टूट गया था। यानी अक्तूबर से मार्च के बीच सेंसेक्स में 12,800 अंकों से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई थी। इसी के साथ बाजार पूंजीकरण में भी 80 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की गिरावट आई।

हालांकि, मार्च में जैसे ही एफआईआई की निकासी कम हुई, बाजार ऊपर की ओर चढ़ने लगा। इन निवेशकों ने मार्च में केवल 3,973 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। जबकि उससे पहले अक्तूबर में 94,017 करोड़, नवंबर में 21,612 करोड़ के शेयर बेचे। दिसंबर में जरूर 15,446 करोड़ का निवेश किया, लेकिन जनवरी में फिर से 78,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी कर लिए। फरवरी में यह निकासी घटकर 34,574 करोड़ रुपये रह गई।

अप्रैल में इन निवेशकों ने जब 4,223 करोड़ रुपये का निवेश किया तो सेंसेक्स ने फिर से वापसी की। एक अप्रैल को सेंसेक्स 76,024 पर बंद हुआ था जो मार्च में 72,984 तक चला गया था। मई के अब तक के महज 6 कारोबारी दिवसों में इन निवेशकों ने 14,167 करोड़ रुपये का निवेश किया और सेंसेक्स बृहस्पतिवार को 80,746 के स्तर पर पहुंच गया। यानी अप्रैल से लेकर अब तक 6.5 फीसदी का रिटर्न दिया है। हालांकि, पाक के साथ तनाव से शुक्रवार को सेंसेक्स में भारी गिरावट ने इस रिटर्न को कम कर दिया।

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