1.04 लाख करोड़ के आईपीओ को मंजूरी, 1.19 लाख करोड़ के लिए आवेदन
मुंबई-अमेरिकी टैरिफ और दुनियाभर में देशों के बीच तनाव बढ़ने से भारतीय आईपीओ बाजार पिछले करीब छह महीने से सुस्त पड़ा हुआ है। कंपनियां बाजार में उतरने के लिए स्थितियां सही होने का इंतजार कर रही हैं। इस समय कुल 2.23 लाख करोड़ रुपये के आईपीओ कतार में हैं। इनमें से 1.04 लाख करोड़ रुपये के इश्यू को सेबी की मंजूरी मिल चुकी है। 1.19 लाख करोड़ रुपये के लिए कंपनियों ने मसौदा जमा कराया है।
प्राइम डाटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक, 63 कंपनियों को पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी से मंजूरी मिल चुकी है। 74 कंपनियां अब भी सेबी से मंजूरी के इंतजार में हैं। अगर यह सभी कंपनियां शेयर बाजार में उतर जाती हैं तो 2.23 लाख करोड़ रुपये जुटा लेंगी। इससे बड़ा फायदा यह होगा कि हमारे बाजार का पूंजीकरण बढ़ेगा। निवेशकों को अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों में निवेश का मौका मिलेगा।
प्राइम डेटाबेस के अनुसार, भारत पिछले साल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ बाजार था। इस साल अब तक स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध आईपीओ में 58 प्रतिशत की गिरावट आई है। विश्लेषकों के मुताबिक, जिन कंपनियों को आईपीओ लाने के लिए सेबी की मंजूरी मिल चुकी है और अगर वे अगले कुछ महीनों में बाजार में नहीं आती हैं तो मंजूरी खत्म हो जाएगी। ऐसे में उनको नए सिरे से आवेदन करना होगा।
वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए इस समय केवल चुनिंदा संस्थागत निवेशक ही निवेश को तैयार हैं। यह रुझान इस बात का संकेत है कि वैश्विक व्यापार युद्ध और देशों के बीच तनावों ने आर्थिक दृष्टिकोण को धुंधला कर दिया है। दो अप्रैल से निफ्टी-50 में 4.8 फीसदी की तेजी आई है। हालांकि, सितंबर के अंत में रिकॉर्ड ऊंचाई से अभी भी 7 फीसदी नीचे है।
भारतीय आईपीओ बाजार हाल के समय में दुनियाभर में बेहतर रहा है। खासकर कोरोना के बाद नए निवेशकों ने अच्छा खासा पैसा लगाया है। 2025 के अब तक के चार महीने में भले ही इश्यू लाने की रफ्तार कम हो गई हो, पर इससे पहले हर साल कंपनियां सूचीबद्धता में तेजी दिखाई हैं। उदाहरण के तौर पर 2024 में कुल 91 कंपनियों ने 1.60 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। 2023 में 57 कंपनियों ने करीब 50,000 करोड़ रुपये, 2022 में 40 कंपनियों ने करीब 60,000 करोड़ और 2021 में 1.20 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए थे।