एमबीए डिग्री वाली लड़की ने ब्रॉ पेंटी बेचकर खड़ी की 1,600 करोड़ की कंपनी
नई दिल्ली। महिलाओं और लड़कियों के लिए इनरवीयर खरीदना कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। अधिकांश दुकानदार पुरुष होते हैं, ऐसे में इनरवियर खरीदना काफी मुश्किल हो जाता है। जमदेशपुर के एक साधारण से मिडिल क्लास से आने वाले रिचा कर ने भी इस स्थिति का कई बार सामना किया था। बाजार जाकर अपने लिए लॉन्जरी खरीदने में उसे भी कई बाद शर्मिंदगी हुई।
रिचा ने उसी वक्त तय कर लिया था कि वो महिलाओं की इसी समस्या का हल जरूर निकालेंगी। इसी सोच के साथ रिचा न ऑनलाइन साइट जिवामे (Zivame) की शुरुआत की। हालांकि ऐसा कर पाना उनके लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं था। उन्हें कई बार घर और दोस्तों के विरोध का सामना करना पड़ा
रिचा जमशेदपुर की मिडिल क्लास फ़ैमिली में पली-बढ़ी हैं। बिट्स-पिलानी से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने साल 2007 में एमबीए की डिग्री हासिल की। पढ़ाई खत्म करते ही उन्हें मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई। नौकरी के दौरान ही जब वो विक्टोरिया सीक्रेट प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी, उन्हें पता चला कि भारत में महिलाएं ऑफलाइन स्टोर या दुकान से इनरवियर की ख़रीदारी करने में कितना असहज महसूस करती है। वो खुद उस स्थिति से गुजर चुकी थी। ऐसे में उन्होंने जब परिवार वालों के सामने ऑनलाइन लॉन्जरी बेचने का आइडिया दिया तो उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा। बेटी का बिजनेस आइडिया सुनकर मां हैरान हो गई।
रिचा ने जब अपने इस आइडिया को घर में शेयर किया तो, सबसे पहले उनकी मां ने ही विरोध किया। मां ने कहा मैं कैसे अपनी सहेलियों को कैसे बताउंगी कि बेटी ब्रा-पैंटी बेचती है। घरवाले-दोस्त सब रिचा का मजाक उड़ाने लगे, लेकिन रिचा ने किस और की सुनने के बजाए अपने मन की बात सुनी।
अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर रिचा ने साल 2011 में जिवामे की शुरुआत की। कुछ उधार लिया, कुछ अपनी सेविंग लगाकर 35 लाख रुपए इकट्ठा किए। मां ने जब बेटी की जिद्द को देखा तो उसका साथ देने आ गई। लॉन्जरी की बात सुनकर उन्हें दफ्तर तक के लिए स्पेस नहीं मिल पा रही थी। ऑफिस स्पेस के लिए उन्होंने लैंडलॉर्ड से भी झूठ बोला। यहां तक की पेमेंट गेटवे हासिल करने के लिए काफी परेशानी हुई।
तमाम मुश्किलों के बाद रिचा ने Zivame की शुरुआत की। उन्हें अपना पहला ग्राहक इंदौर से मिला। आज उनकी कंपनी भारत की नंबर 1 लॉन्जरी ब्रांड साइट है। ऑनलाइन स्टोर में क़रीब 5 हज़ार से ज़्यादा लॉन्जरी स्टाइल के साथ 50 ब्रांड और 100 साइज़ उपलब्ध हैं। कंपनी इस समय भारत में सभी पिन कोड पर डिलिवरी करती है। कंपनी ने कई बड़ी कंपनियों ने फंडिंग हासिल की है। कंपनी का वैल्यूएशन करीब 1600 करोड़ है।
टाटा के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा इस कंपनी के शुरुआती निवेशकों में से एक है। साल 2015 में उन्होंने इस कंपनी में निवेश किया है। वहीं जब कंपनी ने 700 करोड़ के आंकड़े को पार किया तो रियालंस रिटेल इसके अधिग्रहण का फैसला किया। आज वो 750 करोड़ रुपये की मालकिन हैं।