जिस अधिकारी को आईएमएफ से सरकार ने हटाया, उसकी सात करोड़ रुपये में यूनियन बैंक ने खरीदी बुक
बैंक के ईडी नितेश रंजन के विभाग का मामला, जीएम निलंबित, जांच शुरू
मुंबई- देश के प्रमुख सरकारी बैंकों में से एक यूनियन बैंक के मैनेजमेंट को एक किताब ने इतना प्रभावित किया कि प्रकाशित होने से पहले ही इसकी करीब दो लाख प्रतियां खरीदने का फैसला किया। इनकी कीमत 7.25 करोड़ रुपये थी। बैंक इस किताब को अपने ग्राहकों, स्थानीय स्कूलों, कॉलेजों और पुस्तकालयों में बांटना चाहता था। अब यही किताब बैंक के लिए मुश्किल का सबब बन गई है।
‘इंडिया@100: एनविजनिंग टुमॉरोज़ इकनॉमिक पावरहाउस’ को के. वी. सुब्रमण्यन ने लिखा है। सुब्रमण्यन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) में भारत के नॉमिनी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी रहे। सरकार ने पिछले हफ्ते ही उनका कार्यकाल समय से पहले खत्म कर दिया। माना जा रहा है कि किताब के प्रमोशन में अनियमितताएं भी उन्हें हटाए जाने का एक कारण था।
बैंक के सपोर्ट सर्विसेज डिपार्टमेंट ने अपने 18 जोनल हेड्स को बताया कि टॉप मैनेजमेंट ने किताब की हार्ड कवर और पेपरबैक संस्करणों को पूरे भारत में ग्राहकों, कंपनियों, स्थानीय स्कूलों, कॉलेजों और पुस्तकालयों में वितरित करने का फैसला किया है। ये सर्कुलर जून और जुलाई 2024 में किताब के प्रकाशन से पहले जारी किए गए थे।
सर्कुलर के मुताबिक, मैनेजमेंट ने 189,450 पेपरबैक प्रतियां (प्रत्येक 18 जोनल ऑफिस द्वारा 10,525 प्रतियां) ₹350 में और 10,422 हार्डकवर प्रतियां ₹597 में खरीदने का फैसला लिया गया है। इस ऑर्डर की कुल राशि ₹7.25 करोड़ होगी। जोनल ऑफिसेज को आगे इन प्रतियों को अपने रीजनल ऑफिसेज में वितरित करने का निर्देश दिया गया था।
जब ऑफिस एडवाइस भेजा गया, तो इस खरीद के लिए 50% एडवांस प्रकाशक रूपा पब्लिकेशंस को पहले ही दिया जा चुका था। ऑफिस एडवाइस में कहा गया कि बाकी का भुगतान संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा miscellaneous विविध हेड के तहत उपलब्ध राजस्व बजट से किया जाना चाहिए।
जब इस खर्च (रूपा को 50% एडवांस) को बैंक के दिसंबर में हुई बोर्ड मीटिंग में मंजूरी के लिए लाया गया तो इसके एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नितेश रंजन (जो मार्केटिंग और प्रचार जैसे विभागों को देखते हैं) ने कहा कि उन्हें इस खरीद के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और उन्होंने इस खर्च को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
बोर्ड ने सपोर्ट सर्विसेज डिपार्टमेंट के जनरल मैनेजर गिरिजा मिश्रा को यह भुगतान खुद ही करने के लिए अधिकृत करने के अधिकार पर सवाल उठाया। लगभग एक हफ्ते बाद पिछले साल 26 दिसंबर को उन्होंने मिश्रा को निलंबित कर दिया। इस साल जनवरी में, बैंक ने इस लेनदेन में हुई चूक की पहचान करने के लिए KPMG को नियुक्त किया। कंसल्टेंट ने महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंप दी, हालांकि यह ज्ञात नहीं है कि रिपोर्ट में क्या कहा गया था या क्या सिफारिश की गई थी। यह भी स्पष्ट नहीं है कि बैंक ने जनरल मैनेजर के निलंबन के अलावा कोई और कदम उठाया है या नहीं। कर्मचारी संघों का कहना है कि जनरल मैनेजर को बलि का बकरा बनाया गया है, और उन्होंने आगे जांच की मांग की है।
4 मई को बैंक कर्मचारियों के एक संघ ने मणिमेखलाई को पत्र लिखकर “इंडिया@100” पुस्तक की खरीद पर करोड़ों रुपये के फिजूलखर्ची की जांच की मांग की। यूनियन के अधिकारी शंकर ने लिखा कि इसके अलावा, बैंक को यह खुलासा करना होगा कि बड़ी संख्या में किताबें खरीदने और वितरित करने में उसे क्या लाभ हुआ है।