20 लाख करोड़ रुपये का होगा घरेलू ईवी बाजार, 5 करोड़ मिलेंगी नौकरियां

मुंबई- भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन यानी ईवी बाजार की क्षमता 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। 2030 तक पूरे ईवी इकोसिस्टम में लगभग 5 करोड़ नौकरियां पैदा होंगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, इस उद्योग की वर्तमान से 10 गुना अधिक उत्पादन की क्षमता है, लेकिन नंबर एक ऑटो बाजार बनने के लिए उसे वैश्विक ईवी बाजार पर कब्जा करने की जरूरत है।

गडकरी ने बृहस्पतिवार को एक कार्यक्रम में कहा, ईवी की मांग बढ़ेगी। यह उद्योग के विस्तार के लिए सही समय है। भारत अभी तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उद्योग है लेकिन अगले पांच साल में ईवी के जरिये नंबर एक पर पहुंच जाएगा। घरेलू ईवी कंपनियों को गुणवत्ता से समझौता किए बिना चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्लांट का विस्तार करना चाहिए। नवंबर में वैश्विक बिक्री में चीन का हिस्सा करीब 70% था। भारत का महज एक फीसदी था।

उन्होंने कहा, लीथियम आयन बैटरी की मौजूदा लागत 115 डॉलर है, लेकिन अगले 6 महीनों में यह 100 डॉलर से भी कम हो जाएगी। टाटा, अदाणी और मारुति जैसी कंपनियां पहले से ही बैटरी विकसित करने की प्रक्रिया में हैं। भारत में अभी 16,000 ईवी चार्जिंग केंद्र हैं और 2,800 आने वाले हैं। 2030 तक ईवी का वित्त बाजार का आकार चार लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा।

गडकरी ने कहा, हम 22 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन का आयात करते हैं। यह एक बड़ी आर्थिक चुनौती है। यह आयात देश में कई समस्याएं पैदा कर रहा है। हम जल विद्युत के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। अब सौर ऊर्जा महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है।

उन्होंने कहा, हमारे देश को एक लाख इलेक्ट्रिक बसों की जरूरत है। लेकिन हमारी क्षमता 50,000 बसों की है। कंपनियों को ऐसे में कारखाने का विस्तार करने की जरूरत है। 2014 में ऑटोमोबाइल उद्योग का आकार 7 लाख करोड़ रुपये था। आज यह 22 लाख करोड़ रुपये है। अमेरिका के 78 लाख करोड़ और चीन के 47 लाख करोड़ के बाद हम दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं।

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