अब किसानों को 6,000 रुपये की जगह मिल सकता है 12,000 रुपये

मुंबई- संसद की एक समिति ने कृषि मंत्रालय का नाम बदलने और पीएम किसान निधि योजना की वार्षिक राशि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये करने की सिफारिश की है। लोकसभा में कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और फूड प्रोसेसिंग संबंधी स्थायी समिति ने मंगलवार को संसद में 2024-25 के अनुदान मांगों पर अपनी रिपोर्ट पेश की।

समिति ने कहा कि फार्म लेबरर्स (कृषि मजदूरों) की भूमिका को भी पहचानते हुए कृषि और किसान कल्याण विभाग का नाम बदलकर कृषि, किसान और कृषि मजदूर कल्याण विभाग किया जाना चाहिए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि किसानों को दिए जाने वाले मौसमी प्रोत्साहन (सीजनल इंसेंटिव) का लाभ बटाईदार किसानों और कृषि मजदूरों को भी मिलना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का सही तरीके से लागू होना कृषि सुधार और किसानों के कल्याण के लिए बेहद जरूरी है। समिति ने सुझाव दिया कि कानूनी रूप से बाध्यकारी MSP लागू किया जाना चाहिए ताकि किसानों को आर्थिक स्थिरता मिले, बाजार में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा मिले और कर्ज के बोझ से राहत मिले। समिति ने कहा कि ऐसा करने से किसानों की आत्महत्या की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है।

संसद की कृषि संबंधी स्थायी समिति ने छोटे किसानों के लिए अनिवार्य फसल बीमा की सिफारिश की है। समिति ने कहा कि दो हेक्टेयर तक की भूमि वाले किसानों को केंद्र की प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) की तर्ज पर फसल बीमा का लाभ मिलना चाहिए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि कृषि मजदूरों के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम जीवनयापन वेतन आयोग जल्द से जल्द स्थापित किया जाए, ताकि उन्हें उनके लंबे समय से पेंडिंग अधिकार मिल सकें।

समिति ने कहा कि कृषि और किसान कल्याण विभाग को 2021-22 से 2024-25 के बीच भले ही कुल राशि में अधिक बजट मिला हो, लेकिन केंद्र की कुल योजना खर्च में इसका हिस्सा 3.53 प्रतिशत (2020-21) से घटकर 2.54 प्रतिशत (2024-25) हो गया है। समिति ने कृषि क्षेत्र में बजट बढ़ाने की सिफारिश की, ताकि उत्पादकता में सुधार हो सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *