बैंक बोर्ड अनैतिक व्यवहार पर लगाएं अंकुश, गलत बिक्री पर लगे रोक- आरबीआई

मुंबई। केवाईसी धोखाधड़ी और गलत उत्पादों की बिक्री पर आरबीआई ने बैंकों की फिर से चेताया है। इसने कहा, बैंक के बोर्ड यह तय करें कि केवाईसी के सत्यापन के बिना कोई खाता न खुले। उत्पादों की गलत बिक्री न हो। इस तरह की अनैतिक प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए बैंक आंतरिक प्रशासन ढांचे को मजबूत करें।

भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा, बैंक कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहनों को सावधानीपूर्वक तय किया जाए, ताकि वे अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित न हों। ऐसी प्रथाओं से कम समय में लाभ हो सकता है, लेकिन आखिर में इनसे बैंक की प्रतिष्ठा को नुकसान होगा। लंबे समय में पर्यवेक्षी जांच और वित्तीय दंड जैसे जोखिमों का सामना करना पड़ता है।

दास ने कहा, भारतीय बैंकिंग क्षेत्र ऐसे दौर में है, जो अवसरों के साथ ही जोखिमों और चुनौतियों से भरा है। हालांकि, मई से इसमें सुधार देखा जा रहा है। बैंकिंग प्रणाली की जुझारू क्षमता को बरकरार रखना जरूरी है, ताकि मजबूत बुनियादी बातों का लाभ उठाया जाना चाहिए। अच्छा समय जुझारू क्षमता को मजबूत करने और स्थायी रूप से बढ़ने का सबसे सही समय होता है।

दास ने कहा, आर्थिक तनाव या उद्योग में बदलाव के समय विशिष्ट क्षेत्रों, बाजारों या ग्राहक सेगमेंट पर ज्यादा निर्भरता बैंक को बढ़े हुए जोखिमों में डाल सकती है। बोर्ड नियमित रूप से बैंक के पोर्टफोलियो की निगरानी करें। जोखिम वाले संभावित क्षेत्रों की पहचान करें। संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए सक्रिय कदम उठाएं।

गवर्नर ने कहा, बैंकों के बोर्डों को परिचालन जोखिमों के प्रति भी सतर्क रहना चाहिए। विशेष रूप से आईटी आउटसोर्सिंग और तीसरे पक्ष के विक्रेताओं पर निर्भरता से उत्पन्न जोखिमों को बारीकी से निगरानी करना चाहिए।

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