रतन टाटा के माता-पिता बचपन में हो गए थे अलग, दादी ने पाल पोसकर किया बड़ा

मुंबई- पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा की अगुआई में ही टाटा ग्रुप ने देश की सबसे सस्ती कार लॉन्च की, तो हाल ही में कर्ज में फंसी एअर इंडिया को 18 हजार करोड़ की कैश डील में खरीदा था। बिजनेस में बेहद कामयाब रतन टाटा निजी जिंदगी में बेहद सादगी पसंद थे और मुंबई में अपने छोटे से फ्लैट में रहते थे।

28 दिसंबर 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर जन्मे रतन टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के परपोते थे। उनका परिवार पारसी धर्म से है। उनके माता पिता बचपन में ही अलग हो गए थे और दादी ने उनकी परवरिश की थी। 1991 में उन्हें टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था।

रतन टाटा की चार बार शादी होते-होते रह गई। टाटा बताते हैं कि एक बार तो शादी हो ही गई होती, जब वो अमेरिका में थे। उसी समय उनकी दादी ने उन्हें फोन करके बुला लिया। उस समय भारत-चीन युद्ध छिड़ जाने की वजह से वे अमेरिका वापस नहीं जा सके। कुछ समय बाद उस लड़की ने किसी और से शादी कर ली।

1962 में फैमिली बिजनेस जॉइन किया था। शुरुआत में उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया। इसके बाद वे मैनेजमेंट पोजीशन्स पर लगातार आगे बढ़े। 1991 में, जे.आर.डी. टाटा ने पद छोड़ दिया और ग्रुप की कमान रतन टाटा को मिली। 2012 में 75 वर्ष के होने पर, टाटा ने एग्जीक्यूटिव फंक्शन छोड़ दिए। उनके 21 वर्षों के दौरान, टाटा ग्रुप का मुनाफा 50 गुना बढ़ गया। इसमें अधिकांश रेवेन्यू जगुआर-लैंडरोवर व्हीकल्स और टेटली जैसे पॉपुलर टाटा उत्पादों की विदेशों में बिक्री से आया।

चेयरमैन का पद छोड़ने के बाद उन्होंने 44 साल के साइरस मिस्त्री को उत्तराधिकारी नियुक्त किया। उनका परिवार ग्रुप में सबसे बड़ा इंडिविजुअल शेयरहोल्डर था। हालांकि, अगले कुछ वर्षों में, मिस्त्री और टाटा के बीच तनाव बढ़ गया। अक्टूबर 2016 में, चार साल से भी कम समय के बाद, मिस्त्री को रतन टाटा के पूर्ण समर्थन के साथ टाटा के बोर्ड से बाहर कर दिया गया। फरवरी 2017 में नए उत्तराधिकारी का नाम घोषित होने तक टाटा ने चेयरमैन के रूप में अपना पद वापस ले लिया।

कारों के बारे में पूछने पर टाटा ने बताया था कि मुझे कारों से बहुत लगाव है। उन्होंने कहा था ‘मुझे पुरानी और नई दोनों तरह की कारों का शौक है। खासतौर पर उनकी स्टाइलिंग और उनके मैकेनिज्म के प्रति गहरा रुझान है। इसलिए मैं उन्हें खरीदता हूं, ताकि उन्हें पढ़ सकूं।’

रतन टाटा के सबसे करीबी माने जाने वाले 30 साल के शांतनु नायडू ने भास्कर से बातचीत में उनके व्यक्तित्व के कई पहलू साझा किए थे। शांतनु टाटा ग्रुप के जनरल मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि मैं टाटा के साथ डिनर करने गया था। वे खुद कार चलाकर मुझे मुंबई के ‘थाई पवेलियन’ ले गए थे। डिनर के दौरान मैंने टाटा से कहा, जब मैं ग्रेजुएट हो जाऊंगा, तो क्या आप मेरे दीक्षांत समारोह में आएंगे? इस पर टाटा ने कहा कि मैं पूरी कोशिश करूंगा और वे आए भी।

अपने पूरे करियर के दौरान, रतन टाटा ने यह तय किया कि टाटा संस के डिविडेंड का 60-65% चैरिटेबल कॉज के लिए इस्तेमाल हो। रतन टाटा ने COVID-19 महामारी से लड़ने के लिए 500 करोड़ रुपए का दान दिया था। रतन टाटा ने एक एग्जीक्यूटिव सेंटर की स्थापना के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को 50 मिलियन डॉलर का दान दिया था। वे यहीं से पढ़े थे। उनके योगदान ने उन्हें विश्व स्तर पर सम्मान दिलाया, एक परोपकारी और दूरदर्शी के रूप में उनकी विरासत को और बढ़ाया है।

टाटा ग्रुप की स्थापना जमशेदजी टाटा ने 1868 में की थी। यह भारत की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी है, इसकी 30 कंपनियां दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में 10 अलग-अलग बिजनेस में कारोबार करती हैं। अभी एन चंद्रशेखरन इसके चेयरमैन हैं।

टाटा संस टाटा कंपनियों की प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट होल्डिंग और प्रमोटर है। टाटा संस की 66% इक्विटी शेयर कैपिटल उसके चैरिटेबल ट्रस्ट के पास हैं, जो एजुकेशन, हेल्थ, आर्ट एंड कल्चर और लाइवलीहुड जनरेशन के लिए काम करता है। 2023-24 में टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का टोटल रेवेन्यू 13.86 लाख करोड़ रुपए था। यह 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है।

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