72 फीसदी ग्राहकों ने ई-कॉमर्स से बढ़ाई खरीदी की रफ्तार, छोटे शहरों मे तेज वृद्धि

मुंबई- मोबाइल फोन और इंटरनेट के बढ़ने के कारण देश के छोटे इलाकों में भी अब ई-कॉमर्स से खरीदने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 72 फीसदी ग्राहकों का मानना है कि उन्होंने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से अपनी खरीदी बढ़ा दी है। 21 फीसदी ने कहा, वे पहले की ही जितना खरीदी कर रहे हैं। सात फीसदी ने हालांकि कम शॉपिंग की है।

फिक्की और डेलॉय की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-कॉमर्स क्षेत्र दूसरे व तीसरे स्तर के शहरों में तेजी से बाजार बढ़ा रहा है। मध्यम वर्ग के लोगों की आय में इजाफा हो रहा है। ऐसे में ई-कॉमर्स को इससे मदद मिल रही है। रिपोर्ट के अनुसार, ई-कॉमर्स बाजार के 2023 के अंत तक 85 अरब डॉलर को पार करने की उम्मीद थी।

रिपोर्ट के अनुसार, 59 फीसदी का मानना है कि ई-कॉमर्स पर अच्छे भाव में सामान मिलता है। इसलिए वे खरीदी करते हैँ। 59 फीसदी लोग सुविधाओं की वजह से जाते हैं। 56 फीसदी ने कहा, पसंद का सामान न होने पर उन्हें रिटर्न करने में सुविधा मिलती है। 51 फीसदी इसलिए खरीदी करते हैं क्योंकि उनको विशेष ऑफर्स मिलते हैं। सात फीसदी ने कहा, उनकी खरीदी का अनुभव अच्छा है।

सर्वे में 45 फीसदी लोगों ने कहा कि वे क्विक कॉमर्स से ग्रॉसरी मंगाते हैं, क्योंकि इसकी डिलीवरी जल्दी होती है। महानगरों में 49 फीसदी तो प्रथम स्तर के शहरों में 47 फीसदी लोग क्विल कॉमर्स से सामान मंगाते हैं। 50 फीसदी महिलाएं भी इसी प्लेटफॉर्म का उपयोग करती हैं। 43 फीसदी पुरुष उपयोग करते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, दूसरे स्तर के शहर वृद्धि के लिहाज से उभरते हुए चालक के रूप में हैं। 47 फीसदी ने कहा, वे साल में एक या दो बार इलेक्ट्रॉनिक्स सामान ऑनलाइन खरीदते हैं। 39 फीसदी का मानना है कि हर तिमाही में एक बार खरीदी करते हैँ। 43 फीसदी ने कहा, वे मासिक या तिमाही गैजेट खरीदते हैं। 38 फीसदी महिलाएं भी ऑनलाइन गैजेट खरीदने में विश्वास करती हैं।

सर्वे में 65 फीसदी ने कहा, वे अपनी आय का 20 फीसदी से कम खर्च ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक्स की खरीदी पर खर्च करते हैं। 37 फीसदी लोग 20 फीसदी से ज्यादा खर्च करते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि नवाचार, डिजिटल परिवर्तन और आपूर्ति श्रृंखला दक्षता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक समर्पित उपभोक्ता क्षेत्र परिषद की स्थापना की जानी चाहिए। ये कदम से हमें दो लाख करोड़ डॉलर के उपभोक्ता बाजार की उपलब्धि हासिल करने की दिशा में प्रेरित कर सकते हैं। उपरोक्त कदमों से हम सुनिश्चित कर सकते हैं कि 2030 तक हम तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन जाएं।

क्षेत्र है। 2023 में यह 144 अरब डॉलर का था। इससे 30 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। शहरी ग्राहकों में से 22 फीसदी लोग ई-कॉमर्स से एफएमसीजी उत्पाद खरीदते हैं। क्विस कॉमर्स से 12 फीसदी लोग खरीदारी करते हैं। सामान्य चैनलों से 25 फीसदी लोग खरीदी करते हैं।

45 फीसदी भारतीयों का विश्वास स्थानीय ब्रांड पर है। ग्राहकों की पसंद क्षेत्रवार हो गई है। जैसे गुजराती नाश्ते, दक्षिण भारत के मिक्स खाद्य पदार्थ और बंगाली मिठाइयां सबसे ज्यादा पैकेज्ड खाद्य पदार्थ में पसंद की जाती हैं। ग्राहक शुद्ध रूप से क्षेत्रवार स्वाद को पसंद करता है।

रिपोर्ट के अनुसार, होम, ब्यूटी और पर्सनल केयर में 46 फीसदी लोग आधुनिक चैनलों से खरीदी कर रहे हैं। 18 फीसदी सामान्य चैनलों से और 25 फीसदी ई-कॉमर्स के जरिये खरीदी कर रहे हैं। उपभोक्ता और स्वास्थ्य वस्तुओं में 24 फीसदी लोग ई-कॉमर्स का सहारा लेते हैं। 33 फीसदी आधुनिक चैनल का उपयोग करते हैं। जिन लोगों की सालाना आय 24,000 डॉलर से कम है वे महंगाई के कारण कम खर्च कर रहे हैं। जिनकी आय 60,000 डॉलर से ज्यादा है, वे प्रमोशन और छूट पर खरीदारी करने पर जोर देते हैं।

78 फीसदी ग्राहकों का मानना है कि स्वास्थ्य उत्पादों पर वे ज्यादा कीमत देने को तैयार हैं। 63 फीसदी लोग प्राकृतिक उत्पादों पर तो 55 फीसदी लोग आर्गेनिक उत्पादों के लिए ज्यादा कीमत चुकाने को तैयार हैं।

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