इजरायल- ईरान की लड़ाई डेनमार्क व सीरिया तक, शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट होगी

मुंबई। इजराइल और ईरान के बीच छिड़ी जंग अब डेनमार्क और सीरिया तक पहुंच गई है। डेनमार्क में इजराइल के एंबेसी के करीब हमला हुआ है। उधर, सीरिया में भी हमले की खबर है। इससे आने वाले दिनों में दुनियाभर के शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट दिख सकती है। अगर यह लड़ाई शांत नहीं हुई तो पूरी दुनिया इसकी चपेट में आ सकता है।

इजराइल पर ईरान के मिसाइल हमलों के बाद क्रूड ऑयल की कीमत 4% तक बढ़ गई है। इस वजह से ऑयल की सप्लाई पर असर पड़ सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर ऑयल की कीमतों में तेजी जारी रहती है तो यह भारतीय इकोनॉमी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। इसकी वजह यह है कि भारत ऑयल की अपनी ज्यादातर जरूरत इंपोर्ट से पूरी करता है।

ईरान के हमलों के बाद इजराइल ने बदला लेने की धमकी दी है। उसने कहा है कि ईरान को इन हमलों की बड़ी कीमत चुकानी होगी। ऐसे में आगे क्रूड में और तेजी आ सकती है। क्रूड ऑयल की कीमत हर 10 डॉलर बढ़ने पर भारत में इन्फ्लेशन यानी महंगाई 0.3% बढ़ जाती है। वहीं करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) 12.5 बिलियन डॉलर बढ़ जाता है।

तेल महंगा होने से इंडिया में लोगों की खरीदने की शक्ति पर भी असर पड़ता है। इसकी वजह यह है कि लोगों को परिवहन पर ज्यादा खर्च करना पड़ता है। साथ ही इससे माल और सेवाओं की कीमतें भी बढ़ जाती हैं। तेल महंगा होने से भारत को ज्यादा डॉलर खर्च करने होंगे। इससे रुपया कमजोर होगा। ईरान रोजाना 17 लाख बैरल ऑयल का एक्सपोर्ट करता है।

ईरान स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के नजदीक स्थित है, जहां से ऑयल की काफी ज्यादा सप्लाई गुजरती है। सऊदी अरब, कतर और यूएई जैसे बड़े ऑयल प्रोड्यूसर देश ऑयल के एक्सपोर्ट के लिए इसी रूट का इस्तेमाल करते हैं। दुनिया में ऑयल की सप्लाई में OPEC देशों की हिस्सेदारी करीब 40% है। OPEC के फैसले का सीधा असर ऑयल की कीमतों पर पड़ता है। अगर लंबे समय तक ऑयल की कीमतें ऊंची बनी रहती हैं तो इससे भारत जैसे कई उभरते देशों के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है।

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