एफएंडओ के नियम लागू हुए तो 40 फीसदी तक घट जाएगी निवेशकों की संख्या
मुंबई- पूंजी बाजार नियामक सेबी के प्रस्तावित नियम लागू होते हैं तो फ्यूचर एंड ऑप्शन में निवेशकों की संख्या 40 फीसदी तक घट सकती है। साथ ही, खुदरा निवेशकों पर बहुत अधिक निर्भर रहने वाले डिस्काउंट ब्रोकर ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। सेबी के जुलाई में प्रस्तावित नियम स्टॉक एक्सचेंज और ब्रोकरों पर लागू होने हैं।
जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार, साप्ताहिक ऑप्शन अनुबंधों की संख्या 18 से घटाकर 6 करने के उपाय से उद्योग प्रीमियम का लगभग 35 फीसदी हिस्सा प्रभावित हो सकता है। यदि व्यापार शेष अनुबंधों पर स्थानांतरित हो जाता है, तो पूरा प्रभाव 20-25 फीसदी तक कम हो सकता है। आईआईएफएल सिक्योरिटीज को उम्मीद है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की तुलना में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ज्यादा प्रभावित होगा, क्योंकि एनएसई का 60 फीसदी राजस्व ऑप्शन ट्रेडिंग से आता है। बीएसई का 40 फीसदी राजस्व आता है।
आईआईएफएल को अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 तक एनएसई की कमाई 25-30 फीसदी व बीएसई की 18 फीसदी तक कम हो सकती है। सेबी ने जुलाई में परामर्श पत्र में सात उपायों का लागू करने का प्रस्ताव रखा था। इनमें प्रमुख रूप से न्यूनतम कांट्रैक्ट आकार को बढ़ाना, ऑप्शन प्रीमियम में अपफ्रंट कलेक्शन, पोजीशन लिमिट की इंट्रा-डे निगरानी और स्ट्राइक कीमत को तर्कसंगत बनाने जैसे उपाय हैं। सेबी ने कहा, इन उपायों का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा व डेरिवेटिव बाजारों में स्थिरता को बढ़ावा देना है।
जेफरीज के मुताबिक, बैंकेक्स साप्ताहिक अनुबंध को हटाने से बीएसई की प्रति शेयर आय (ईपीएस) वित्त वर्ष 2025-27 तक 7-9 फीसदी घट सकती है। हालांकि, अगर ट्रेडिंग गतिविधि बंद किए गए उत्पादों से स्थानांतरित हो जाती है तो इससे कम असर पड़ेगा।
प्रति एक्सचेंज केवल एक बेंचमार्क इंडेक्स के लिए साप्ताहिक ऑप्शन को तर्कसंगत बनाने से एनएसई पर काफी प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वर्तमान में इसके चार साप्ताहिक इंडेक्स एक्सपायरी हैं। इसमें बैंक निफ्टी सबसे महत्वपूर्ण है। ऑप्शन वॉल्यूम में इसका 50 फीसदी योगदान है। इस बदलाव से एनएसई के ट्रेडिंग वॉल्यूम में 30-35 फीसदी की कमी आ सकती है।
जेफरीज ने कहा, छह महीनों में लॉट साइज को 3-4 गुना बढ़ाने के सेबी के उपाय से खुदरा ट्रेडरों की लागत बढ़ सकती है। इससे बाजार में उनकी भागीदारी कम हो सकती है। सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने हाल में कहा था कि एक साल में फ्यूचर एंड ऑप्शन में निवेशकों के 60,000 करोड़ रुपये डूब गए हैं।