बैंकिंग धोखाधड़ी से सरकारी बैंकों ने ग्राहकों को दिए 144 करोड़ रुपये मुआवजा
मुंबई- लोगों के साथ होने वाले फ्रॉड का बड़ा खामियाजा बैंकों को भुगतना पड़ रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में पब्लिक सेक्टर बैंकों को करोड़ों रुपये का मुआवजा ग्राहकों को देना पड़ा है। इस रकम को जालसाजों द्वारा ग्राहक के अकाउंट से उड़ा दिया गया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद कहा, उपरोक्त रकम पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। अगर किसी बैंक के कस्टमर के साथ धोखाधड़ी करके कोई रकम निकाल लेता है तो बैंक को वह रकम मुआवजे के तौर पर ग्राहक को वापस करनी पड़ती है। हालांकि इसमें कई शर्त होती हैं। मुख्य शर्त है कि ग्राहक धोखाधड़ी होने के 7 दिनों के भीतर बैंक को इसकी सूचना दे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि पीएसयू बैंकों को साल 2023-24 में 140 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में चुकाने पड़े। यह वह रकम थी जो जालसाजों ने धोखाधड़ी करके ग्राहकों के बैंक अकाउंट से उड़ाई थी। वित्त मंत्री ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में यह रकम 42.70 करोड़ रुपये थी। ऐसे में इस साल इसमें तीन गुने से ज्यादा की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सबसे अधिक 74.96 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया। उसके बाद बैंक ऑफ इंडिया ने 20.38 करोड़ रुपये और इंडियन बैंक ने 16.16 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया।
पिछले वित्त वर्ष में भी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने मुआवजे के रूप में ज्यादा रकम चुकाई थी। यह 12.18 करोड़ रुपये थी। इसके बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 11.68 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया था। सीतारमण ने कहा कि रिजर्व बैंक ने जुलाई 2017 में अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के मामलों में ग्राहकों की देयता को सीमित करने के निर्देश दिए थे।
वित्त मंत्री ने कहा कि अगर कोई अनधिकृत ट्रांजेक्शन ऐसा होता है जिसमें न तो बैंक की कमी है और न ही ग्राहक की, बल्कि सिस्टम में कोई कमी है तो ऐसे मामले में ग्राहक की जिम्मेदारी बिल्कुल भी नहीं होगी। ऐसे मामलों में ग्राहक को बैंक को तीन कार्य दिवस (छुट्टी का दिन छोड़कर) के भीतर जानकारी देनी होगी।
अगर किसी ग्राहक के साथ धोखाधड़ी होती है और वह 4 से 7 कार्य दिवस के अंदर इसकी सूचना बैंक को देता है तो भी ग्राहक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।