कसीनो, ऑनलाइन गेमिंग और घुड़सवारी पर लगेगा 28 फीसदी जीएसटी
मुंबई- जीएसटी परिषद ने कसीनो, ऑनलाइन गेमिंग और घुड़सवारी पर 28 फीसदी कर लगाने का फैसला लिया है। यह कर खिलाड़ियों की ओर से लगाए जाने वाले दांव की पूरी रकम पर लगेगा। गोवा ने ऑनलाइन गेमिंग के प्लेटफॉर्म फीस पर 18 फीसदी कर लगाने की सिफारिश की थी, जिस पर कोई सहमति नहीं बनी। जीएसटी परिषद इस बात पर सहमत हुई कि कौशल के खेल और मौके के खेल के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए। भारत में यह 1.5 अरब डॉलर का उद्योग है।
विदेशी निवेशकों जैसे टाइगर ग्लोबल और सिकोइया कैपिटल के निवेश वाले भारतीय गेमिंग स्टार्टअप जैसे ड्रीम11 और मोबाइल प्रीमियर लीग प्रमुख कंपनियां हैं। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोलान्ड लेंडर्स ने कहा, परिषद का यह फैसला पूरी तरह से असांविधानिक है। यह तर्कहीन है।
फिक्की गेमिंग कमेटी ने सीबीआईसी से इस क्षेत्र के लिए जीएसटी दर को 28 फीसदी तक नहीं बढ़ाने का आग्रह किया। कमेटी का मानना था कि ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए यह घाटे का सौदा होगा, और कई सारी कंपनियां बंद हो जाएंगी। बैठक में ऑनलाइन गेमिंग पर कराधान, उपयोगी वाहनों की परिभाषा, पंजीकरण और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने के नियम, सिनेमाघारों में परोसे जाने वाले खाद्य एवं पेय पदार्थों और कैंसर के इलाज में उपयोगी दवा के आयात पर छूट देने जैसे मुद्दे शामिल रहे।
इसी के साथ जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन को भी मंजूरी मिली है। कोलकाता में ट्रिब्यूनल के दो बेंच होंगे। बैठक में फिटमेंट पैनल के सभी सुझाव मंजूर किए गए हैं। इससे करदाताओं को राहत मिलेगी। जीएसटी से जुड़े विवादों का निपटारा आसानी से हो सकेगा। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 50वीं बैठक मंगलवार को नई दिल्ली में हुई।
बैठक में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अधिकारी ने बताया कि जांच में पाया गया है कि लगभग 25 फीसदी जीएसटी खाते मौजूद नहीं हैं या लगभग 15,000 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी करने के बाद गायब हो गए हैं। सीबीआईसी ने मई में टैक्स चोरी रोकने के लिए जीएसटी खातों की जांच के लिए अभियान शुरू किया था।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में कुछ राज्यों ने हंगामा किया। दरअसल, बैठक के दौरान राजस्थान, तमिलनाडु, पंजाब, पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे कई विपक्षी दल शासित राज्यों ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधान के दायरे में लाने का विरोध किया। दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने कहा, कई राज्यों के वित्त मंत्रियों ने जीएसटीएन को पीएमएलए प्रावधानों के तहत लाने के केंद्र के फैसले का विरोध किया, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हाथों छोटे और मध्यम व्यापारियों का अनावश्यक उत्पीड़न हो रहा है।