नया निवेश जून तिमाही में दो दशक के निचले स्तर पर पहुंचा- सीएमआईई
मुंबई- नया निवेश इस साल जून तिमाही में पूरी तरह से ठप हो गया। नए निवेश की घोषणाएं तो कम हुईं, साथ ही परियोजनाएं भी पूरी नहीं हो पाईं। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, जून तिमाही में 443 अरब रुपये का निवेश आया, जो 2004 के बाद सबसे कम है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक, सुप्रीमकोर्ट की ओर से चुनावी बॉन्ड योजनाओं को असंवैधानिक घोषित करने और खरीदारों के नाम का खुलासा होने से कारोबारियों में भारी नाराजगी रही। संभावित मुकदमेबाजी और नई सरकार को लेकर कुछ अनिश्चितता ने भी निवेश के माहौल को खराब कर दिया।
सीएमआईई के अनुसार, 18वीं लोकसभा चुनावों के दौरान निवेश गतिविधियों में गिरावट कई लोकसभा चुनावों से भी बदतर थी। यही नहीं, कोरोना कें समय लॉकडाउन में जून, 2020 में भी इससे ज्यादा 1.6 लाख करोड़ रुपये का नया निवेश आया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, चुनावी वर्ष की तिमाही में नए निवेश पर पड़ने वाला यह असर नई सरकार आने के बाद खत्म हो जाता है। इसलिए ऐसा अनुमान है कि आगे निवेश की रफ्तार तेज हो सकती है। उदाहरण के तौर पर मई, 2019 में चुनाव परिणाम के बाद सितंबर तिमाही में निवेश में सुधार हुआ। दिसंबर तिमाही में और तेजी आई। इसी तरह सितंबर 2014 तिमाही में भी यह बढ़ा और दिसंबर 2014 तिमाही में ज्यादा तेजी आई। चुनाव बीतने के बाद कारोबार सामान्य हो रहा है। आने वाली तिमाहियों में नया निवेश प्रति तिमाही कम कम 4-5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचन सकता है।