वारेन बफे ने 15 साल पहले ही क्वांट फंड में निवेश में बताया था जोखिम
मुंबई- जाने माने निवेशक वॉरेन बफे ने 2009 में निवेशकों को सिर्फ क्वांटिटेटिव यानी क्वांट मॉडल पर आधारित फंडों को लेकर चेतावनी दी थी। ये फंड स्टॉक का एक पोर्टफोलियो बनाने के लिए रूल-बेस्ड नजरिये का इस्तेमाल करते हैं। क्वांट म्यूचुअल फंडों का जिक्र इसलिए भी आया है क्योंकि बाजार नियामक सेबी ने मुंबई और हैदराबाद में क्वांट म्यूचुअल फंड के कार्यालयों पर छापेमारी की है। यह छापेमारी ‘फ्रंट रनिंग’ के आरोपों के बाद की गई थी, जो कि एक अवैध गतिविधि है। इसमें कोई व्यक्ति अंदरूनी जानकारी का इस्तेमाल करके शेयरों में लेनदेन करता है।
क्वांट फंडों का उद्देश्य भावनाओं के आधार पर लिए गए फैसलों को हटाकर उनकी जगह स्पष्ट रूप से परिभाषित नियमों और आंकड़ों का इस्तेमाल करना है। हालांकि, इंडेक्स फंड और उनके फैक्टर-बेस्ड वेरिएंट भी ऐसा ही दावा करते हैं। तो, क्या चीज क्वांट फंड को दूसरों से अलग बनाती है? क्या वाकई ये फंड उतने ही असरदार हैं या सिर्फ एक ट्रेंड हैं?
क्वांट फंडों का काम करने का तरीका बहुत ही कॉम्प्लेक्स होता है। दुर्भाग्य से यह जटिलता हमेशा फायदेमंद नहीं होती है। किसी भी क्वांट स्ट्रेटेजी की सफलता पूरी तरह से उसके मॉडल की पेचीदगियों पर निर्भर करती है। हर क्वांट फंड खरीदने और बेचने के फैसले लेने के लिए अपने नियमों का पालन करता है। ये नियम व्यावसायिक मैट्रिक्स, मार्केट सिग्नल और पैटर्न के एक जटिल डेटा पर आधारित होते हैं।
क्वांट म्यूचुअल फंडों को एल्गोरिदम-बेस्ड फंड या क्वांटिटेटिव फंड के नाम से भी जाना जाता है। ये पारंपरिक फंड मैनेजरों की ओर से भावनाओं या अनुमानों के बजाय जटिल गणितीय मॉडल और एल्गोरिदम का उपयोग करके शेयरों का चयन करते हैं।
उदाहरण के लिए इस श्रेणी में सबसे पुराना निप्पॉन क्वांट फंड वैल्यूएशन, आय, कीमत और गुणवत्ता पर आधारित एक मॉडल का उपयोग करता है। ICICI प्रूडेंशियल क्वांट फंड एक थ्री-स्टेप मॉडल का उपयोग करता है, जो स्टॉक को स्क्रीन और पहचानने के लिए मैक्रो, फंडामेंटल और टेक्निकल वैरिएबल को जोड़ता है। टाटा क्वांट फंड भविष्य के रिटर्न को चलाने के लिए ऑप्टिमल फैक्टर कॉम्बिनेशन खोजने की खातिर मशीन-लर्निंग एल्गोरिथम का उपयोग करता है।
हालांकि, व्यापक रूपरेखा के अलावा इन मॉडलों के काम करने के तरीके के बारे में बहुत कम जानकारी है। AMC अपने फ्रेमवर्क की बारीकी से रक्षा करते हैं। कभी भी सटीक विवरण का खुलासा नहीं करते हैं। इस गोपनीयता के कारण इन्हें अक्सर ‘ब्लैक बॉक्स’ कहा जाता है।
स्पष्ट रूप से परिभाषित निवेश शैली के बिना किसी विशेष क्वांट स्ट्रैटेजी पर दांव लगाना अंधेरे में तीर चलाने के समान है। प्रदर्शन क्वांट फंड की सफलता का आकलन करने का एकमात्र पैरामीटर है। इस पैमाने पर निवेशकों को सीमित जानकारी का सामना करना पड़ता है। भारत में अधिकांश क्वांट फंड्स का ट्रैक रिकॉर्ड केवल 3-4 साल का है, जो उनकी क्षमताओं के बारे में बहुत कुछ नहीं बताता है। इस सीमित समय सीमा के भीतर महत्वपूर्ण भिन्नता देखी जा सकती है।
कुछ अपवादों के बावजूद ज्यादातर फंड बाजार से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि, क्वांट एएमसी कई तरह के फंड्स में अपनी डेटा क्रंचिंग क्षमताओं का उपयोग करता है। इसने लगातार प्रभावशाली परिणाम दिए हैं। छोटे ट्रैक रिकॉर्ड के बावजूद एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्वांट फंड्स को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।