दुकानदारों व बैंकिंग करेस्पांडेंट को जोड़ने से पहले बैंकों को करनी होगी जांच
मुंबई-वित्त मंत्रालय ने बैंकों में हो रही धोखाधड़ी को रोकने के लिए नया कदम उठाया है। बैंकों को अब दुकानदारों और बैंकिंग प्रतिनिधियों यानी बीसी को जोड़ने से पहले उनकी गहन जांच करनी होगी। मतलब उनके केवाईसी को अच्छी तरह से सत्यापित करना होगा।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने वाले व्यापारियों और बीसी की उचित जांच न केवल धोखाधड़ी की जांच करने के लिए, बल्कि वित्तीय इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए भी जरूरी है।
सूत्रों ने कहा कि साइबर सुरक्षा को आगे बढ़ाने और वित्तीय धोखाधड़ी की जांच करने के उद्देश्य से हाल ही में एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में कई सुझाव दिए गए हैं। इसमें से एक सुझाव यह था कि व्यापारियों और बीसी के स्तर पर डेटा सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत है। इस स्तर पर समझौते की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में आरबीआई बैंकों और वित्तीय संस्थानों को साइबर धोखाधड़ी में बीसी को ऑनबोर्डिंग की समीक्षा करने, धोखाधड़ी में शामिल पाए जाने वाले माइक्रो एटीएम को ब्लॉक करने की सलाह दे सकता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2023 के दौरान 7,488.63 करोड़ रुपये के वित्तीय साइबर धोखाधड़ी के 11,28,265 मामले सामने आए। बढ़ती साइबर धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के प्रयासों के तहत, रिजर्व बैंक अवैध कर्ज देने वाले एप्स की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए डिजिटल इंडिया ट्रस्ट एजेंसी स्थापित करने पर विचार कर रहा है। गूगल ने सितंबर, 2022 से लेकर अगस्त, 2023 तक उधारी देने वाले 2,200 एप को प्ले स्टोर से हटा दिया है।
पिछले साल जुलाई में बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने बॉब वर्ल्ड एप पर ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए बैंक के ग्राहकों के डेटा के साथ छेड़छाड़ की थी। बैंक ने कथित तौर पर ग्राहकों के खातों की जानकारी को अन्य कॉन्टैक्ट नंबर के साथ लिंक कर दिया। इससे मोबाइल एप में ज्यादा ग्राहक दिखने लगे। इसके बाद आरबीआई ने तुरंत इस एप को नए ग्राहक जोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया।