चालू वित्त वर्ष में 4.5 फीसदी रहेगी महंगाई, सब्जियों के दाम बढ़ा सकते हैं चिंता
मुंबई- महंगाई के मोर्चे पर राहत मिल सकती है। चालू वित्त वर्ष में इसके 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि, आगे भीषण गर्मी पड़ती है तो सब्जियों के दाम इस अनुमान पर पानी फेर सकते हैं। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, खाद्य कीमतों की अनिश्चितताएं आगे चलकर महंगाई की गति पर असर डाल रही हैं। आने वाले महीनों में ज्यादा तापमान को देखते हुए दालों की मांग-आपूर्ति की तंग स्थिति और प्रमुख सब्जियों के उत्पादन पर बारीक निगरानी की जरूरत है।
दास ने कहा, गेहूं की कटाई पूरी हो चुकी है। इसकी उपलब्धता पर दो साल पहले जितना असर नहीं होगा। इसलिए, गेहूं के मामले में इतनी चिंता नहीं है। लेकिन सब्जियों की कीमतें प्रभावित होंगी। गर्मी की लहर की स्थिति से उत्पन्न होने वाले किसी भी प्रभाव पर नजर रखनी होगी। ईंधन की कीमतों में कमी का असर आने वाले महीनों में महंगाई पर दिखाई देगा।
दास ने महंगाई की तुलना हाथी से करते हुए उम्मीद जताई कि अब हाथी जंगल की ओर लौट रहा है। यानी महंगाई चार फीसदी के दायरे में लौट रही है। सबसे बड़ी चुनौती खुदरा महंगाई थी। यह कमरे में हाथी की तरह था। अप्रैल, 2022 में 7.8 फीसदी पर महंगाई का हाथी था। लेकिन अब यह हाथी घूमने के लिए निकल गया है। महंगाई धीरे-धीरे कम हो रही है।
चालू वित्त वर्ष के लिए आरबीआई ने महंगाई का अनुमान 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यह 2023-24 के 5.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है। पहली तिमाही में महंगाई 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना है। केंद्र ने आरबीआई को खुदरा महंगाई को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के स्तर पर रखने का लक्ष्य दिया है।
चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। यह 2023-24 के लिए 7.6 प्रतिशत के अनुमान से कम है। आरबीआई ने फरवरी में भी वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। जून तिमाही में सात प्रतिशत, सितंबर तिमाही में 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था के सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। ग्रामीण मांग गति पकड़ रही है। विनिर्माण क्षेत्र में निरंतर वृद्धि से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। देशों के बीच तनाव और वैश्विक व्यापार मार्ग में व्यवधान से कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।
खपत से 2024-25 में आर्थिक विकास को समर्थन मिलने की उम्मीद है। शहरी खपत में उछाल बना हुआ है। स्टील की खपत व उत्पादन और पूंजीगत वस्तुओं के आयात में मजबूत वृद्धि के साथ-साथ सीमेंट उत्पादन में लचीलापन है। इससे निवेश चक्र को आगे बढ़ाने के लिए यह अच्छा संकेत है। लगातार और मजबूत सरकारी पूंजीगत खर्च, बैंकों और कॉरपोरेट्स की मजबूत बैलेंस शीट और बढ़ती क्षमता का उपयोग बेहतर है।