सोना और रियल एस्टेट में निवेश से बिगड़ सकता है रिटायरमेंट का जीवन
मुंबई- कमाई के समय परिवार के सदस्यों की देखभाल करने के लिए लग्जरी जरूरत हो सकती है, लेकिन अपनी सेवानिवृत्ति से समझौता करके ऐसा नहीं करना चाहिए। कई प्रवासी भारत में घर बनाते हैं जो बुरा कदम नहीं है। पर इसके साथ वित्तीय साधनों के निवेश को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जमीनी हकीकत बहुत अलग है। मेरी सलाह है, जैसे-जैसे आप सेवानिवृत्ति के करीब पहुंचें, गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों में अपनी हिस्सेदारी कम करें।
सेवानिवृत्ति के करीब पहुंच रहे कई लोगों के बीच यह एक आम बात है कि उनके पास बहुत पैसा है। उनके पास पैसा तो है, लेकिन ये पैसे एक ऐसे साधन जैसे रियल एस्टेट और सोना में लगे हैं। इसका मतलब यह है कि आप रिटायरमेंट के बाद जरूरत पर इन दोनों संपत्तियों को बेच नहीं सकते हैं। ऐसे में अगर इन दोनों के साथ-साथ वित्तीय साधन में भी आप निवेश करते हैं तो रिटायरमेंट के समय आपको जरूरतें पूरी करने के लिए दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
उदाहरण के तौर पर 57 वर्षीय संजय की छोटी बेटी भारत में तीन साल में डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर लेगी। बेटा अमेरिका में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहा है। इस स्तर पर दोनों पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हैं। संजय को लगता है कि बच्चों को कुछ और वर्षों तक उनके समर्थन की जरूरत होगी। नोएडा और गाजियाबाद में उनके दो फ्लैट हैं। नोएडा के फ्लैट में उनके माता-पिता रहते हैं और दूसरा फ्लैट अब से एक साल में उनके पास आ जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में उनकी पत्नी ने दो किलो सोना खरीदा है। उन्हें लगता है कि यह अच्छा निवेश है।
उनके पास फिक्स्ड डिपॉजिट और बीमा पॉलिसियां भी हैं। कुल मिलाकर उनकी संपत्ति 7 करोड़ रुपये है। दो फ्लैटों की कीमत 4.5 करोड़ रुपये है। 1.5 करोड़ का सोना, 60 लाख का एफडी और 40 लाख रुपये शेयर और म्यूचुअल फंड में हैं। मुझे पता है कि उन्होंने अच्छा किया है,पर दुर्भाग्यवश, वह वास्तव में गरीब हैं। गरीब इसलिए क्योंकि वह अपना घर नहीं बेच सकता। एक फ्लैट में उनके माता-पिता हैं और दूसरा अभी भी उनके कब्जे में नहीं है। उनकी पत्नी का सोना बेचने या गिरवी रखने की भी संभावना नहीं है। इसलिए, मूल रूप से कुल संपत्ति का 85% जरूरत पड़ने पर भी उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, बेटी की शिक्षा और अगले 5-6 वर्षों में अपने दोनों बच्चों की शादी भी करनी है।
संजय यदि एक घर बेचतें हैं, तो उन्हें पूंजीगत लाभ पर कर का भुगतान करना होगा। संजय की समस्या जटिल हो गई है। उनकी पत्नी की योजना बेटी की शादी आधा सोना उसे देने की है। बैंक जमा पर भी 6-7% ब्याज मिल रहा है, जो महंगाई की दर के बराबर ही है। इसका अर्थ है कि यह जहां उन्हें वास्तव में फायदा हो सकता था वह शेयर और म्यूचुअल फंड था, जो उनके कुल निवेश का केवल 6 फीसदी ही है।
इन स्थितियों के बाद संजय के पास ऐसी कोई संपत्ति नहीं है जिससे सेवानिवृत्ति के बाद उनकी जरूरत के लिए कोई आय हो सके। इसलिए, वह सेवानिवृत्त होने के लिए तैयार नहीं हैं। आराम से सेवानिवृत्त होने के लिए वास्तव में एक ऐसे फंड की जरूरत होती है जो काम आए। बैंक जमा, शेयर और म्यूचुअल फंड में मिले एक करोड़ रुपये से उनकी बेटी की शिक्षा और शादी का खर्च पूरा हो सकेगा। हालाँकि वह अपनी ज़रूरत के लिए एक घर बेच सकते थे। वह पत्नी से कम सोना खरीदने को कह सकते थे, पर उन्हें यकीन था कि पत्नी इस पर सहमत नहीं होगी।
इन स्थितियों का सबक यह है कि हमें कुल संपत्ति का कम से कम आधा हिस्सा बैंकों, म्यूचुअल फंड और शेयरों जैसे वित्तीय साधनों में निवेश करना चाहिए, न कि इसे सोने और रियल एस्टेट में। मैं लोगों को सेवानिवृत्त होने का सपना देखने से हतोत्साहित नहीं कर रहा हूँ। मैं केवल यह चाहता हूं कि वे यह समझें कि सेवानिवृत्ति के लिए खुश और तनाव मुक्त रहने के लिए सही वित्तीय समर्थन होना चाहिए।