म्यूचुअल फंड में निवेश पर घट सकती है लागत, फंड मैनेजरों के लिए सख्त नियम
मुंबई- आने वाले समय में म्यूचुअल फंड में निवेश करना सस्ता हो सकता है। साथ ही फंड मैनेजरों के लिए कायदे कानून भी सख्त हो सकते हैं। सेबी 28 जून को होने वाली बोर्ड बैठक में यह फैसला कर सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, पूंजी बाजार नियामक सेबी कुल खर्च अनुपात (टीईआर) में बदलाव कर सकता है। म्यूचुअल फंड कंपनियां निवेशकों से सालाना आधार पर इसे वसूलती हैं। इससे योजनाओं में निवेश की लागत घट जाएगी। हालांकि, कुछ सुझावों का फंड हाउसों और वितरकों ने कड़ा विरोध किया है। उनको आशंका है कि इसका उनके कारोबार पर बड़े पैमाने पर असर पड़ सकता है।
सेबी ने 18 मई को परिचर्चा पत्र में कहा था कि म्यूचुअल फंडों को टीईआर को एक समान बनाना चाहिए, न कि स्कीम के स्तर पर। इसका मतलब यह है कि किसी फंड हाउस की सभी इक्विटी या डेट स्कीम को प्रबंधित परिसंपत्तियों के आधार पर टीईआर चार्ज करना होगा। वर्तमान में प्रत्येक स्कीम को परिसंपत्ति आकार के आधार पर एक अलग टीईआर चार्ज करने की अनुमति है।
सेबी ने अब प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और शेयर खरीदने पर दिए जाने वाले ब्रोकरेज को टीईआर के अंदर लाने का भी सुझाव दिया है। पहले यह टीईआर के बाद लगता था। इसी तरह शीर्ष 30 से आगे वाले शहरों से जो कारोबार आते हैं, उसकी प्रोत्साहन रकम को भी
सेबी के प्रस्तावित सुधारों को अगर लागू किया गया तो इससे म्यूचुअल फंड के निवेशकों की निवेश पर लागत 0.5 से 20 फीसदी तक घट जाएगी। इसका सीधा असर म्यूचुअल फंड कंपनियों के मुनाफे पर पड़ेगा। सेबी बोर्ड लेनदेन से संबंधित प्रतिभूतियों में संभावित दुरुपयोग और धोखाधड़ी वाले लेनदेन की रोकथाम के लिए म्यूचुअल फंड को संस्थागत तंत्र स्थापित करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा करेगा।