40 साल की कांग्रेस की कोशिश के बाद सेमीकंडक्टर का निर्माण करेगा भारत 

नई दिल्ली। भारत ने 40 वर्षों की कोशिशों के बाद सेमीकंडक्टर के निर्माण में सफलता हासिल की है। पहले इसने 1980 में, फिर 1990 में और तीसरी बार 2010 में सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए अमेरिकी कंपनियों को लाने की कोशिश की थी। लेकिन सारी कोशिशें फेल हो गईं। 

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चौथी बार भारत इसमें सफल हुआ है। आज भारत पूरी तरह से टेक्नोलॉजी पर फोकस कर रहा है। प्रौद्योगिकी के संयुक्त विकास और वैश्विक विश्व व्यवस्था में अपनी स्थिति कैसे मजबूत की जा सकती है, भारत इस पर फोकस कर रहा है। 

उन्होंने कहा, जिस तरह से दुनिया भर की कंपनियों ने भारत को एक अलग नजरिए से देखा है, उससे आज यह बिल्कुल स्पष्ट है कि सेमीकंडक्टर की अगली बड़ी पहचान भारत की होगी। 3 महीने पहले अमेरिका और भारत के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। प्रधानमंत्री की अमेरिकी यात्रा के दौरान सेमीकंडक्टर से संबंधित 3 प्रमुख प्रगति हुई हैं। 

वैष्णव ने कहा कि संयंत्र से भारत में बनी पहली चिप का उत्पादन 18 महीनों (दिसंबर 2024) में किया जाएगा। गुजरात में माइक्रोन का एक अत्याधुनिक संयंत्र होगा और यह भारत में सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र के विस्तार में योगदान देगा। माइक्रोन दुनिया भर में मोबाइल, लैपटॉप, सर्वर, रक्षा उपकरण, कैमरा, इलेक्ट्रिक वाहन, ट्रेन, कार और दूरसंचार उपकरणों के उपयोग में होने वाले 

वैष्णव ने सोमवार को कहा, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उभरती हुई प्रौद्योगिकी में निवेश आकर्षित करने में सफल रही है। सेमीकंडक्टर निर्माताओं के लिए भारत अगला महत्वपूर्ण स्थान है। मोदी की अमेरिकी यात्रा पर, सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष, क्वांटम कंप्यूटिंग और एआई सहित 35 उभरती प्रौद्योगिकियों की साझेदारी पर हस्ताक्षर किए गए। भारत अब एक बड़ी ताकत बन गया है। एचएएल भारत में जेट इंजन का निर्माण करेगी, जो महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। 

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