एप वाले कर्ज एजेंट ग्राहकों को नहीं करेंगे परेशान, एजेंट की देनी होगी जानकारी
मुंबई- एप के जरिए कर्ज देने वाली कंपनियों के खिलाफ ग्राहकों की मिल रही शिकायतों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अक्सर पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) के प्रारूप में नियम जारी कर दिया है। इसके 18 सवालों के जवाब जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया कि अगर कोई ग्राहक लोन चुकाने में डिफॉल्ट करता है तो ग्राहकों को एजेंट के बारे में जरूरी जानकारी एसएमएस या ईमेल के जरिये पहले से देनी होगी। साथ ही अब ग्राहक को लोन देते वक्त ही कंपनी को एजेंट के बारे में जरूरी जानकारी देनी होगी।
आरबीआई के इस दिशा निर्देश का मतलब एजेंटों के जरिए ग्राहकों को परेशान करना अब आसान नहीं होगा। आरबीआई ने कहा है कि ग्राहक को यह जानकारी रिकवरी एजेंट के उससे संपर्क में आने से पहले देना जरूरी होगा। नए नियम के तहत सभी तरह के कर्ज वितरण और पुनर्भुगतान, लोन लेने वाले ग्राहक के बैंक अकाउंट और बैंक या एनबीएफसी के बीच होनी जरूरी होगा। इस लेन-देन में सेवा प्रदाता या किसी तीसरी पार्टी का कोई दूसरा अकाउंट शामिल नहीं होगा। इसके अलावा ऐसे सेवा प्रदाता जो ग्राहकों से सीधे संपर्क करेंगे, उन्हें एक शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति भी करनी होगी।
आरबीआई ने यह भी कहा है कि क्रेडिट कार्ड के जरिए किस्त चुकाने वाले ग्राहक इस नियम के दायरे में नहीं आएंगे। उसके लिए पहले से ही अलग नियम और शर्तें तय हैं। कर्ज देने वाले (एलएसपी) के रूप में भी काम करने वाले पेमेंट एग्रीगेटर्स का इस्तेमाल कर्ज को चुकाने के लिए किया जा सकेगा। इतना ही नहीं, पेमेंट एग्रीगेटर्स को डिजिटल लेंडिंग गाइडलाइंस का पालन करना होगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अगस्त 2022 में डिजिटल लेंडिंग को नियंत्रित करने के लिए कुछ नियम जारी किए थे।
असल में कोरोना काल में खास तौर से लोन देने वाली ऐप कंपनियों के रिकवरी एजेंट के खिलाफ शिकायतें आई थी। इसमें कई मामलों में कर्ज लेने वाले ग्राहकों ने आत्महत्या तक कर ली थी। ऐसे मामले काफी तेजी से बढ़े थे, जिसकी वजह से आरबीआई से नई गाइडलाइन जारी करने की मांग की जा रही थी। विश्लेषकों का कहना है कि अब ऐसा कोई ढीलापन इस नियम में नहीं है जहां ऋणदाता और ग्राहक भी बच सके।
आरबीआई ने बुधवार को 54 ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर्स की सूची जारी की। इसमें अमेजनपे, गूगल इंडिया, एनएसडीएल, जोमैटो और अन्य हैं। इसमें से कुछ नई कंपनियों को आरबीआई ने लाइसेंस दिया है। जबकि 28 कंपनियों का आवेदन प्रक्रिया में है। 57 के आवेदन को आरबीआई ने वापस कर दिया। इसमें फ्रीचार्ज, पेटीएम, पेयू एवं अन्य हैं। 185 फिनटेक फर्मों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था।