कार्वी को झटका, सेबी ने लगाया 21 करोड़ जुर्माना, सात साल का प्रतिबंध
मुंबई- बाजार नियामक सेबी ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड (केएसबीएल) और उसके प्रवर्तक कोमांदुर पार्थसारथी को प्रतिभूति बाजार में हिस्सा लेने से सात साल के लिए प्रतिबंधित करने के साथ उन पर 21 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शुक्रवार को जारी आदेश में कहा कि ग्राहकों की प्रतिभूतियों को गिरवी रखकर जुटाई गई राशि को केएसबीएल ने अपने समूह की फर्मों- कार्वी रियल्टी इंडिया लिमिटेड और कार्वी कैपिटल लिमिटेड में भेज दिया था।
कोष को दूसरी फर्मों के पास भेजने का दोषी पाए जाने पर सेबी ने केएसबीएल और पार्थसारथी पर सात साल का प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इसके अलावा शेयर ब्रोकिंग फर्म पर 13 करोड़ रुपये और उसके प्रवर्तक एवं प्रबंध निदेशक पर आठ करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
पार्थसारथी को सेबी ने किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में 10 वर्षों तक प्रमुख प्रबंधकीय पद संभालने के अयोग्य भी घोषित कर दिया है। वहीं घटना के समय केएसबीएल के निदेशक रहे भगवान दास नारंग और ज्योति प्रसाद को दो साल के लिए पद संभालने से प्रतिबंधित किया गया है। इसके अलावा बाजार नियामक ने केएसबीएल की तरफ से भेजे गए 1,442.95 करोड़ रुपये लौटाने का निर्देश भी कार्वी रियल्टी और कार्वी कैपिटल को दिया है। उन्हें तीन महीने के भीतर यह राशि केएसबीएल को लौटाने को कहा गया है।
बाजार नियामक ने पाया कि केएसबीएल के करीब तीन लाख ग्राहक अपने फंडों व प्रतिभूतियों के निपटान के लिए अभी भी प्रतीक्षा कर रहे हैं जबकि तीन साल पहले अंतरिम आदेश पारित किया गया था। अगर सेबी उधार देने वाले वित्तीय संस्थानों को गिरवी शेयर के बदले दिए गए कर्ज की रिकवरी का आदेश दिया होता तो यह अलग-अलग शेयरों पर बिकवाली का भारी दबाव बनाता, जो पूरे शेयर बाजार के लिए व्यवस्थित जोखिम होता। नियामक ने पाया कि केएसबीएल का मामला सख्त कदम की मांग कर रहा था ताकि शेयर ब्रोकरों व उनके प्रबंधन को अनुचित व धोखाधड़ी का व्यवहार न करने का सख्त संदेश मिले।