ओला, एथर और टीवीएस जांच के घेरे में,सब्सिडी पाने को कम रखी थीं कीमतें
मुंबई- सब्सिडी का दावा करने के लिए कृत्रिम रूप से अपने उत्पादों की कीमतों को कम रखने के मामले में सरकार चार प्रमुख इलेक्ट्रिक दोपहिया निर्माता कंपनियों की जांच कर रही है। इनमें ओला, एथर, टीवीएस मोटर और विडा जांच के घेरे में हैं। सरकार ने कंपनियों से इन आरोपों पर सफाई देने को कहा है।
मंत्रालय ने ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया को जांच का जिम्मा सौंपा है। जानकारी के मुताबिक, यह कंपनियां इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) योजना के तहत सब्सिडी योग्य बनाने के लिए जांच के घेरे में हैं। सूत्रों का कहना है कि हो सकता है कि ईवी निर्माताओं ने कम से कम 300 करोड़ की सब्सिडी का झूठा दावा किया हो।
इससे पहले सरकार ने 12 इलेक्ट्रिक दोपहिया निर्माताओं के कारण 1,100 करोड़ की सब्सिडी रोक दी थी। केंद्र सरकार 10,000 करोड़ की फेम योजना के तहत 10 लाख यूनिट इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। योजना के तहत स्थानीयकरण प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में उनकी कथित विफलता के लिए अलग से एक दर्जन अन्य इलेक्ट्रिक दोपहिया निर्माताओं की जांच हो रही है।
भारी उद्योग मंत्रालय ने एक व्हिसल-ब्लोअर शिकायत के बाद फिर से जांच शुरू की है कि इन चार कंपनियों ने वाहन से अलग चार्जर और सॉफ्टवेयर जैसे अन्य कलपुर्जों की बिलिंग करके कम से कम 300 करोड़ की सब्सिडी का झूठा दावा किया है।
फेम कार्यक्रम के तहत, उन इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए सब्सिडी का दावा नहीं किया जा सकता है, जिनकी एक्स-फैक्टरी कीमत 1.50 लाख रुपये से अधिक है। यह आरोप लगाया गया है कि इन निर्माताओं ने सब्सिडी के लिए वाहनों की कीमत कम रखने के लिए ग्राहकों को अलग से चार्जर और सॉफ्टवेयर का बिल दिया।
कंपनियां स्थानीय रूप से बने वाहनों की लागत पर 40% तक की छूट की पेशकश कर सकती हैं और इसे सरकार से सब्सिडी के रूप में दावा कर सकती हैं। यह योजना फर्मों को ईवी को किफायती बनाने और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए है। योजना के मौजूदा दौर के लिए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन निर्माताओं को वित्तीय सहायता के लिए 2,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।