गिरोह बनाकर पैदा की जा रही है चिप की कमी, बैंकों के एटीएम की आपूर्ति पर असर
नई दिल्ली। चिप की कमी का असर अभी तक इलेक्ट्रॉनिक सामानों और गाड़ियों पर ही होता था। पर बैंकों को क्रेडिट और डेबिट कार्ड जारी करने के लिए भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चिप आपूर्ति करने वाली कंपनियां गिरोह बनाकर इसकी कृत्रिम कमी बता रही हैं और फिर ज्यादा भाव पर इसे बेच रही हैं। इस तरह का मामला सामने आने पर इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से जांच करने की मांग की है। आईबीए को इस संबंध में काफी सारी शिकायतें मिली हैं। इसके बाद आईबीए ने सीसीआई को पत्र लिखा है। साथ ही वित्त मंत्रालय को भी इसकी जानकारी दी गई है।
एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी के मुताबिक, पिछले साल 4-5 बड़े कार्ड विक्रेताओं ने बैंकों से संपर्क कर कहा था कि चिप की भारी कमी है और इससे कीमतें बढ़ गई हैं। इसके बाद सभी बैंकों ने कार्ड की कीमतें 35 से 42 रुपये तक बढ़ा दिए थे। 3 महीने पहले फिर से इन चिप विक्रेताओं ने बैंकों से संपर्क किया और कहा कि कीमतें फिर बढ़ गई हैं। हालांकि, इस बार केवल कुछ बड़े बैंक ही 10 रुपये ज्यादा देने पर राजी हुए। सरकारी बैंकों ने इससे हाथ पीछे खींच लिए थे।
कार्ड विक्रेताओं की इस गिरोहबाजी का सीधा असर बैंकों की लागत पर पड़ा है, क्योंकि कार्ड की पूरी लागत बैंक ही वहन करते हैं। पिछले कुछ महीने से कार्ड की बिक्री में तेजी भी देखी गई है। बैंकों का मानना था कि अगर वे ग्राहकों से कार्ड का पैसा लेंगे तो उनके कारोबार पर असर पड़ सकता है।
आईबीए ने कहा, ऐसा देखा गया है कि कुछ तिमाहियों से चिप की कमी का फायदा कार्ड विक्रेताओं ने उठाया है। कुछ सरकारी बैंकों को प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत नए कार्ड जारी करने में दिक्कत आ रही है। पीएमजेडीवाई में कुल 46.56 करोड़ खाता धारक हैं। 1.72 लाख करोड़ रुपये इनके खातों में जमा है। देश में 92.81 करोड़ डेबिट कार्ड और 8 करोड़ क्र्एइढट कार्ड हैं। अप्रैल से अब तक 20 लाख कार्ड जारी किए गए हैं।